ऊधमसिंहनगर जिले में पुलिस कस्टडी से नौ साल में 12 से अधिक बदमाश फरार
कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया पॉक्सो एक्ट का आरोपी रिंकू कोली पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया। बीते नौ साल में ऊधमसिंहनगर जिले में पुलिस कस्टडी से नौ साल में 12 से अधिक बदमाश फरार हो चुके हैं।
रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में जहां अपराधिक वारदात के मामले यूएसनगर पहले स्थान पर है, वहीं बदमाशों के पुलिस कस्टडी से भागने में भी पीछे नहीं है। बीते नौ सालों की बात करें तो 12 बदमाश जहां पुलिस कस्टडी से फरार हो चुके हैं, वहीं कुछ गिरफ्तार बदमाशों ने पुलिस कर्मियों को अपने साथ मिलाकर कई अपराधिक वारदात भी अंजाम दिए हैं। हालांकि पुलिस फरार हुए इन सभी बदमाशों को कुछ दिन बाद गिरफ्तार भी कर चुकी है, लेकिन बदमाशों के बुलंद हौसलों से पुलिस पसोपेश में है।
छह जनवरी 2021 को आवास विकास चौकी से तमंचे के साथ गिरफ्तार और भाजपा नेता के पुत्र पर फायरिंग करने का आरोपित भी फरार हुआ था। इधर मंगलवार (24 मई 202) को पॉक्सो में जेल में बंद रम्पुरा निवासी रिंकू को पुलिस कोर्ट में पेशी के लिए लाई थी। लेकिन इस दौरान वह भी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। ऐसे में लगातार हर साल बदमाशों के पुलिस कस्टडी से भागना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है।
एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि फरार कैदी रिंकू रम्पुरा का रहने वाला है। उस पर 21 नवंबर 2021 को पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ था। मंगलवार को अन्य कैदी के साथ ही उसे भी पेशी के लिए रुद्रपुर जिला न्यायालय लाया गया था। जहां से वह पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया।उन्होंने कहा कि फरार कैदी की तलाश की जा रही है। मामले में पुलिस टीम की भूमिका की भी जांच कराई जाएगी।
केस-1
31 मई 2013 को पुलिस हल्द्वानी जेल में बंद ट्रांजिट कैंप निवासी सूरज को पेश करने के लिए न्यायालय में लाए थे। इस दौरान उसे न्यायालय परिसर में बने लॉकअप में रखा गया था। इस बीच सूरज पुलिस कर्मियाें को चकमा देकर लॉकअप की खिड़की से सरिया निकालकर फरार हो गया था। बाद में पुलिस ने सूरज को गिरफ्तार कर लिया था।
केस-2
2015 में पुलिस एक आरोपित इंद्रजीत सिंह को हल्द्वानी जेल ले जा रही थी। नैनीताल रोड पर इंद्रजीत सिंह पुलिस वाहन का तिरपाल काटकर फरार हो गया था। इससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। इस पर जिले के साथ ही नैनीताल पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी थी। करीब दो सप्ताह बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
केस-3
2016 में ट्रांजिट कैंप पुलिस एक मामले में उत्तर प्रदेश से एक आरोपी को पकड़कर लाई थी। उससे पूछताछ के बाद पुलिस लिखा पढ़ी में लगी हुई थी। यह देख आरोपित मौका पाकर थाने से फरार हो गया था। इस पर पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी। देर रात पुलिस ने उसे मुख्य बाजार स्थित पांच मंदिर के पास से गिरफ्तार कर
लिया था।
केस-4
2017 में धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने काशीपुर निवासी प्रकाश कांडपाल को जेल भेजा था। जेल में हालत बिगड़ने पर उसे सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके साथ यूएसनगर पुलिस लाइन के दो कांस्टेबल भी थे। जब गणना में पुलिस कर्मी गायब मिले तो तलाश की गई। इस दौरान प्रकाश कांडपाल के साथ सुशीला तिवारी अस्पताल से वह भी गायब मिले थे। बाद में पुलिस ने प्रकाश कांडपाल को मुंबई से पकड़ लिया। साथ में दोनों पुलिस कर्मी भी थे।
केस-5
15 मई 2017 को पुलिस काशीपुर के गडढा कालोनी निवासी इरफान को पेश करने के लिए न्यायालय में लाई थी। जहां पेश करने से पहले उसे हवालात में रखा गया। इस दौरान उसने हाथ में लगी हथकड़ी को खोलकर भागने का प्रयास किया। यह देख पुलिस कर्मियों ने उसे रोका तो वह उनसे भिड़ गया। पुलिस कर्मियों को फंसाने के लिए दीवार पर अपना सिर भी दे मारा।
केस-6
10 जुलाई 2017 को काशीपुर पुलिस ने वाहन चोरी में जसपुर निवासी शमशाद को गिरफ्तार किया था। जेेल में पेट दर्द की शिकायत के बाद उसे 27 सितंबर को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 29 सितंबर को वह अस्पताल से फरार हो गया था। हालांकि बाद में पुलिस ने उसे काशीपुर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया था।
केस-7
2018 में किच्छा में बहुचर्चित समीर हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। इस मामले में पुलिस ने हत्याकांड का मुख्य आरोपित राजा उर्फ रनदीप सिंह को मुंबई से गिरफ्तार किया था। किच्छा लाते समय वह हापुड़ से पुलिस कस्टडी से फरार हो गया है। जो आज तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
केस-8
वर्ष, 2020 में किशोरी को भगाने का बाजपुर में एक केस दर्ज हुआ था। मामले में पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन वह बाजपुर कोतवाली से हथकड़ी समेत फरार हो गया है। इस पर पुलिस ने उसकी तलाश कर एक दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था।
केस-9
सितंबर 2020 में सितारगंज जेल में कोरोना पाजीटिव मिले तीन सजायाफ्ता कैदियों को जिला अस्पताल के आइसोलेट में भर्ती किया गया था। जहां से वह फरार हो गए थे। इस पर पुलिस ने एक माह बाद दो फरार सजायाफ्ता कैदियाें को तो गिरफ्तार कर लिया था लेकिन तीसरा नेपाल मूल का निवासी देवेंद्र धानुक को पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।