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जल्द पडऩे लगी ठंड, उच्च हिमालय के गांवों से शुरू हो गया माइग्रेशन nainital news

उच्च हिमालय में समय से पहले हिमपात ने ऊंचाई वाले इलाके में पारा गिरा दिया है। गांवों में शीतलहर चलने लगी है। चीन सीमा से लगे इन गांवों में रहने वाले ग्रामीणों ने माइग्रेशन शुरू कर

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 07:18 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:21 AM (IST)
जल्द पडऩे लगी ठंड, उच्च हिमालय के गांवों  से शुरू हो गया माइग्रेशन nainital news
जल्द पडऩे लगी ठंड, उच्च हिमालय के गांवों से शुरू हो गया माइग्रेशन nainital news

धारचूला, जेएनएन : उच्च हिमालय में समय से पहले हिमपात ने ऊंचाई वाले इलाके में पारा गिरा दिया है। गांवों में शीतलहर चलने लगी है। चीन सीमा से लगे इन गांवों में रहने वाले ग्रामीणों ने माइग्रेशन शुरू  कर दिया है। अधिकांश गांवों के लोग इस वर्ष घाटियों में ही दीपावली मनाएंगे।

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धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाले दारमा, व्यास, चौदांस के साथ ही मुनस्यारी तहसील की जौहार वैली के दर्जनों गांव आज भी परंपरागत ढंग से माइग्रेशन करते हैं। इन गांवों के अप्रैल-मई में घाटियों से उच्च हिमालय में स्थित अपने मूल गांवों में पहुंचते हैं। छह माह तक इन गांवों में खेती करने के बाद नवंबर प्रथम सप्ताह से घाटियों की ओर वापस लौटने लगते हैं। इस वर्ष अगस्त और सितंबर माह में उच्च हिमालय में अच्छा खासा हिमपात हो चुका है, जिससे उच्च हिमालय में ठंड बढ़ गई हैं। दीपावली के बाद माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों ने इस वर्ष दीपावली से पहले ही माइग्रेशन शुरू  कर दिया है। सीमा की द्वितीय रक्षा पंक्ति माने जाने वाले इन गांवों के लोगों के घाटियों की और लौट आने के बाद अब  उच्च हिमालय में केवल सुरक्षा बलों के जवान ही मुस्तैद रहेंगे।

माइग्रेशन करने वाले गांव

1. कुटी

2. नावी

3. रौंककोंग

4. नलच्यू

5. गुंजी

6. गब्र्याग

7. दर

8. बौंगलिंग

9. चल

10. सेला

11. नागलिंग

12. दुग्तू

13. सौन

14. दांतू

15. बौन

16. फिलम

17. सीपू

18. मार्छा

घाटियों में निर्धारित हैं अलग-अलग क्षेत्र

माइग्रेशन करने वाले गांवों के लिए घाटियों में अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित हैं। व्यास घाटी के अंतर्गत आने वाले गांवों के ग्रामीण खोतिला में प्रवास करते हैं, जबकि दारमा घाटी के ग्रामीणों के लिए सोबला से जौलजीबी तक का इलाका निर्धारित है।


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