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युद्ध अभ्यास में सीढ़ी से गिरकर काशीपुर का लाल हुआ शहीद, 18 कुमाऊं रेजिमेंट में थे तैनात

18 कुमाऊं रेजीमेंट आर्मी में तैनात सैनिक युद्ध अभ्यास के दौरान सीढ़ी से गिरकर शहीद हो गया। मंगलवार रात सेना के जवान उन्हें लेकर काशीपुर गौरी बिहार पहुंचे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 12:27 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 12:27 PM (IST)
युद्ध अभ्यास में सीढ़ी से गिरकर काशीपुर का लाल हुआ शहीद, 18 कुमाऊं रेजिमेंट में थे तैनात
युद्ध अभ्यास में सीढ़ी से गिरकर काशीपुर का लाल हुआ शहीद, 18 कुमाऊं रेजिमेंट में थे तैनात

काशीपुर, जेएनएन : 18 कुमाऊं रेजीमेंट आर्मी में तैनात सैनिक युद्ध अभ्यास के दौरान सीढ़ी से गिरकर शहीद हो गया। मंगलवार रात सेना के जवान उन्हें लेकर काशीपुर गौरी बिहार पहुंचे। जहां से गंगे बाबा रोड स्थित श्मशान घाट तक सैकड़ों लोग आर्मी वाहन में सवार शहीद की अंतिम यात्रा में सरीक हुए। बुधवार सुबह हेमपुर डिपो के हवलदार राकेश सरकार सहित 10 लोगों की सैन्य टुकड़ी ने शहीद के पार्थिव शरीर ससम्मान शस्त्र सलामी देकर अंतिम विदाई दी गी। इस दौरान वहां मौजूद सभी की आंखे नम हो गईं।

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मूलरूप से मालखेत, सल्ट अल्मोड़ा निवासी सुरेश चंद्र बलोदी (39) पुत्र स्व. गोपालदत्त बलोदी सन् 1999 में आर्मी में भर्ती हुए थे। सात भाई व तीन बहनों में छठे नंबर के सुरेश चंद्र वर्तमान में चंडीगढ़ स्थित आर्मी की 18 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए सेना की बिल्डिंग इंटरवेशन ट्रेनिंग चल रही है। 18 मार्च को युद्ध अभ्यास के दौरान सुबह सवा सात बजे सुरेश सीढ़ी से छत पर चढ़ रहे थे। इस दौरान पैर फिसलने से नीचे गिरने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन फानन उन्हें आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। नायब सूबेदार महिमन, हवलदार विनोद कांडपाल और सिपाही चंदन सिंह मंगलवार रात सैनिक का पार्थिव शरीर लेकर गौरी बिहार, काशीपुर पहुंचे। सुरेश चंद्र सात सालों से काशीपुर में मकान बनाकर रह रहे थे। बुधवार सुबह श्मशान घाट तक उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान हेमपुर डिपो से हवलदार राकेश सरकार, नायब सूबेदार केबी सिंह और नायक शोभाराम सहित 10 लोगों ने पुष्प गुच्छ चढ़ाकर सैनिक के पार्थिव शरीर को शस्त्र सलामी दी। आर्मी में तैनात सबसे छोटे भाई पूरन चंद्र ने सुरेश की चिता को मुखाग्नि दी। सुरेश सैन्य परिवार से थे। बड़े भाई हाल ही में असम रायफल्स से रिटायर्ड हुए हैं। सैनिक के दो लड़की हैं। पिता ने खेती-किसानी कर परिवार का पालन पोषण किया था। 11 साल पहले उनकी मृत्यु हो गई। परिजनों का रो-रोकर बुराहाल था।

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