ओडीएफ घोषित होने के बाद भी चम्पावत जिले के कई गांवों में शौचालय नहीं
चम्पावत जिला भले ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो लेकिन आज भी गांवों में शत प्रतिशत परिवारों के शौचालय नहीं बने हैं। वर्ष 2014 में स्वजल परियोजना ने ग्राम पंचायतों के माध्यम से जो शौचालय बनवाए हैं उनमें सबसे अधिक घालमेल होने की शिकायतें सामने आ रही हैं।
चम्पावत, जेएनएन : संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत चम्पावत जिला भले ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन आज भी गांवों में शत प्रतिशत परिवारों के शौचालय नहीं बने हैं। वर्ष 2014 में स्वजल परियोजना ने ग्राम पंचायतों के माध्यम से जो शौचालय बनवाए हैं, उनमें सबसे अधिक घालमेल होने की शिकायतें सामने आ रही हैं। लक्ष्य के अनुरूप शौचालय न बनने का एक कारण शौचालय बनने के बाद की गई भुगतान की प्रक्रिया को माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि एडवांस में भुगतान न होने से गांवों में गरीब तबके के लोग पैसे की तंगी के कारण शौचालय नहीं बनवा पाए और जब तक ये लोग शौचालय बनवाते जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि खुले में शौच मुक्त किए गए जिले के कई गांवों के लोग आज भी शौचालय बनाने की मांग कर रहे हैं। जिले को ओडीएफ घोषित करने के बाद स्वजल कार्यालय में 200 से लोगों ने शौचालय के लिए आवेदन दिए हैं।
दो अक्टूबर 2014 के बाद जब से एपीएल परिवारों को शौचालय का पैसा मिलना शुरू हुआ तब से अब तक चम्पावत जिले में 32,083 शौचालय बने हैं, जबकि 2014 से पहले 47,236 शौचालय बन चुके थे। दो अक्टूबर 2014 से पूर्व केवल बीपीएल परिवारों को ही शौचालय के लिए आर्थिक सहायता मिलती थी। छूटे परिवारों को शौचालयों से आच्छादित करने के बाद बेस लाइन सर्वे की गई जिसमें 3302 शौचालयों का निर्माण फिर से किया गया। स्वजल परियोजना के आंकड़ों की बात करें तो जिले में 82,621 परिवारों को शौचालय से आच्छादित कर दिया गया है। इनमें से 90 फीसदी से अधिक परिवारों को शौचालय का भुगतान भी कर दिया गया है। बेस लाइन सर्वे के बाद जिन 3,302 शौचालयों का निर्माण किया गया उसमें से 230 परिवारों को अंतिम किश्त का भुगतान कर दिया गया है। शेष 3,072 परिवारों को शौचालयों का भुगतान केंद्र सरकार से धनराशि न मिलने के कारण नहीं हो पाया है।
स्वजल के प्रभारी परियोजना प्रबंधक यूसूफ बिलाल का कहना है कि जिले के ओडीएफ होने के बाद शौचालय के लिए जो आवेदन आ रहे हैं वे संयुक्त परिवार से अलग हुए लोगों के हैं, जिस वक्त शौचालयों का निर्माण किया गया था उस वक्त सभी लोग संयुक्त परिवार का हिस्सा थे। बताया कि जिन परिवारों को शौचालय का भुगतान नहीं हुआ है उन्हें केंद्र से धनराशि मिलते ही कर दिया जाएगा। जिले में जितने भी शौचालय बने हैं लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। इसके इतर ओडीएफ घोषित होने के बाद विभिन्न गांवों से शौचालय के लिए आ रहे आवेदन इस बात को इंगित करते हैं कि शौचालय निर्माण में कहीं न कहीं घालमेल जरूर हुआ है।
वर्ष 2014 से पूर्व विकासखंड वार बने शौचालय
चम्पावत 21,251
लोहाघाट 9,984
बाराकोट 5,393
पाटी 10,608
वर्ष 1014 के बाद बने विकासखंड वार शौचालय
चम्पावत 6,198
लोहाघाट 9,884
बाराकोट 5,393
पाटी 10,608
मामले की जांच शुरू कर दी गई है
चम्पावत के सीडीओ राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि शत प्रतिशत शौचालय निर्माण के बाद ही गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया था। ऐसे गांवों में कुछ परिवारों के पास शौचालय न होने की बात सामने आ रही है। इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। ओडीएफ के बाद कई गांवों में मुख्य परिवार से पृथक होकर नए परिवार बने हैं। शौचालय विहीन सभी परिवारों के लिए मनरेगा से शौचालय बनवाए जा रहे हैं।