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परिवहन विभाग की अजब कहानी : बसें चलाने से घाटा तो खड़ी होने से फायदा

उत्तराखंड परिवहन निगम भले अपने बसों के संचालन में हर माह घाटे से जूझ रहा है। पर बाहरी राज्यों से आकर स्टैंड में खड़ी होने वाली बसों से लाखों में आय हो रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 11:23 AM (IST)
परिवहन विभाग की अजब कहानी : बसें चलाने से घाटा तो खड़ी होने से फायदा
परिवहन विभाग की अजब कहानी : बसें चलाने से घाटा तो खड़ी होने से फायदा

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड परिवहन निगम का भी अजब हाल है। निगम भले अपने बसों के संचालन में हर माह घाटे से जूझ रहा है। पर बाहरी राज्यों से आकर स्टैंड में खड़ी होने वाली बसों से वसूले जाने वाले पार्किंग शुल्क से लाखों में आय हो रही है और यह हर साल बढ़ती जा रही है। अकेले हल्द्वानी डिपो की स्टेशन में बाहरी बसों को खड़ा करने से हर वर्ष होने वाली आय का आंकड़ा 50 लाख रुपये पार कर चुका है।

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उत्तराखंड परिवहन निगम आय से अधिक खर्च होने से हमेशा सरकार पर निर्भर रहता है। कम आमदनी की वजह से निगम के कर्मचारियों को कई-कई माह तक वेतन के लाले पड़े रहते हैं। वहीं दूसरी ओर हल्द्वानी बस स्टैंड से इसी साल अब तक 43.49 लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है। आरटीआइ कार्यकर्ता हेमंत गोनिया के आरटीआइ प्रार्थना पत्र का जवाब देते हुए हल्द्वानी डिपो के एआरएम वीके सैनी ने बताया कि वर्ष 2014 में 27.48 लाख रुपये, 2015 में 35.24 लाख रुपये, 2016 में 43.81 लाख रुपये और वर्ष 2017 में 51.25 लाख रुपये की आमदनी बाहरी राज्यों से आने वाली बसों से हुई थीं।

90 से अधिक बसें आती हैं प्रतिदिन : हल्द्वानी रोडवेज स्टैंड में बाहरी राज्यों से प्रतिदिन 90 से अधिक बसें आती हैं। हालांकि स्टैंड में जगह कम होने के कारण बसें यहां अधिक समय तक पार्क नहीं होती हैं। बसों को कुछ देर खड़ा करने के बाद रवाना कर दिया जाता है।

118 से 472 रुपये तक लिया जाता है शुल्क : हल्द्वानी डिपो के एआरएम वीके सैनी ने आरटीआइ में दी सूचना में कहा है कि जिन बसों की वापसी का समय एक घंटे से कम होता है, उनसे पार्किंग/प्रवेश शुल्क 118 रुपये, नाईट स्टे करने वाली बसों से 236 रुपये व कुछ बसों से 472 रुपये शुल्क लिया जाता है। 472 रुपये शुल्क कैसरबाग व जसपुर डिपो की बसों से लिया जाता है। ऐसा इसलिये क्योंकि उत्तराखंड की बसों से उनके डिपो में भी इतना ही शुल्क लिया जाता है।

मुख्यालय हेड में जमा होता है शुल्क : बाहरी बसों से पार्किंग या प्रवेश शुल्क के रूप में लिया जाने वाला धन मुख्यालय हेड में जाम किया जाता है। इस धन को खर्च करने का अधिकार डिपो के पास नहीं है। जिस कारण पार्किंग शुल्क से होने वाली आय से डिपो अपने कर्मचारियों का वेतन या स्टेशन का सौंदर्यीकरण आदि कार्य नहीं कर पाता है।

हल्द्वानी डिपो की मार्च से जून माह की आय

- मार्च में 15 करोड़ 64 लाख 74 हजार

- अप्रैल में 16 करोड़ 81 लाख 96 हजार रुपये

- मई में 18 करोड़ 31 लाख 94 हजार रुपये

- जून में 19 करोड़ 31 लाख 40 हजार रुपये

हल्द्वानी डिपो की मार्च से जून माह का खर्च 

- मार्च में 18 करोड़ 6 लाख 59 हजार रुपये

- अप्रैल में 17 करोड़ 13 लाख 52 हजार रुपये

- मई में 18 करोड़ 47 लाख 83 हजार रुपये

- जून में 18 करोड़ 75 लाख 29 हजार रुपये

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