लोहाघाट विधायक खो चुके हैं अपना मानसिक संतुलन : आनंद अधिकारी
लोहाघाट विधायक द्वारा जो 50 करोड़ रुपये गबन किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। यह बेबुनियाद एवं निराधार है। विधायक अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। जितना समय वो हमारे पीछे लगा रहे है उतना यदि क्षेत्र की समस्याओं में लगाते तो कुछ विकास कार्य हुए होते।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : टनकपुर जौलजीबी सड़क घोटाले मामले में लोहाघाट विधायक द्वारा ठेकेदार पर लगातार आरोप लगाए जाने के मामले में गुरुवार को मैसर्स दलीप सिंह अधिकारी फर्म के पार्टनर आनंद अधिकारी ने बयान जारी किया। कहा कि लोहाघाट विधायक पूरन फत्र्याल द्वारा जो 50 करोड़ रुपये गबन किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। यह बेबुनियाद एवं निराधार है। लगता है कि विधायक अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। जितना समय वो हमारे पीछे लगा रहे है उतना समय यदि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में लगाते तो कुछ विकास कार्य हुए होते।
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आनंद अधिकारी ने कहा है कि सड़क का कार्य बंद होने से पूर्व किए गए सड़क निर्माण का भुगतान नहीं हुआ है, जिसको लेकर ठेकेदार ने आर्बिटेशन में भी चैलेंज किया था। आरोप लगाया है कि विधायक ने पांच वर्षों में केवल और केवल अपने ठेकेदारी से संबंधित रोड जिसका टेंडर वो प्राप्त नहीं कर पाए और व्यक्तिगत प्रश्न उठाते रहे। दूसरी विधानसभा के मामले को विधान सभा में उठा रहे हैं। उन्होंने विधायक पर आलवेदर रोड निर्माण में मरोड़ाखान से घाट तक अपनी हिस्सेदारी को लेकर अड़चन डालने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया है। अधिकारी ने कहा कि अगर विधायक जी को ठेकेदारी ही करनी है तो जनता द्वारा चुने हुए पद को त्याग देना चाहिए।
अधिकारी मेरी हत्या करवा सकते हैं : फत्र्याल
टनकपुर जौलजीबी सड़क बना रहे ठेकेदार आनंद अधिकारी द्वारा जारी बयान के बाद लोहाघाट विधायक पूरन फत्र्याल ने कहा कि ठेकेदार अधिकारी पैसों के दम पे तो वह मेरी हत्या करवा सकते हैं। पैसों के दम पर अनाब सनाब बयान दे रहे हैं। लेकिन मैं इससे घबराने वाला नहीं। मैंने ठेकेदार पर नहीं डीपीआर फर्जी होने का आरोप लगाया है। जब ठेकेदार सही है तो वह मेरा साथ दे और डीपीआर की जांच कराने में सहयोग करे। वह क्यों बौखला रहा है। मेरा ठेकेदार से कोई लेना देना नहीं है।
मेरी जांच में क्यों कूद रहा ठेकेदार
मैं सरकार व लोक निर्माण विभाग से मामले की जांच कराने को कह रहा हूं तो ठेकेदार बीच में क्यों कूद रहा है। सरकार व विभाग ने मिलीभगत कर 23 किमी रोड की चार गुना दर पर डीपीआर तैयार की। इतने बजट में तो 90 किमी रोड कट सकती है। अगर सरकार डीपीआर की जांच कराए और मेरे आरोप गलत साबित होते हैं तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। उन्होंने कहा कि ठेकेदारी मेरा काम नहीं है। अगर ठेकेदार ईमानदार है तो उसने कंप्नशेसन के आठ करोड़ क्यों नहीं लिए? वह मेरे साथ डीपीआर की जांच करवाने में सहयोग करें। मैं रोड का निर्माण रोकने के पक्ष में नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि डीपीआर की पुन: तकनीकी जांच कराने के बाद ठेकेदार को उसका भुगतान करें। मैंने इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ पीडब्लूडी के सचिव, एचओडी, आरई को पत्र भेजकर डीपीआर की पुन: तकनीकी जांच की मांग की है।