आठ माह से बीमार हथिनी लक्ष्मी की मौत, पिछले दस दिन से ग्लूकोज व इनर्जी लिक्विड पर थी जिंदा
जिंदगी के लिए जूझ रही बीमार हथिनी लक्ष्मी ने दम तोड़ दिया। वन विभाग लाख कोशिश के बाद नहीं बच सकी।
संस, रामनगर : जिंदगी के लिए जूझ रही बीमार हथिनी लक्ष्मी ने आखिरकार दम तोड़ दिया। वन विभाग लाख कोशिश के बाद भी उसे बचा नहीं पाया। भोजन छोड़ने की वजह से दस दिन से जमीन पर निढाल पड़ी लक्ष्मी ग्लूकोज व इनर्जी लिक्विड के सहारे थी। फोरेंसिक जांच के लिए उसके आंतरिक अंगों के नमूने सुरक्षित रख लिए गए हैं।
हाई कोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने पर्यटकों को घुमाने वाली आठ पालतू हथिनियों को पिछले साल नौ अगस्त को रिसॉर्ट व निजी लोगों से अपने कब्जे में लिया था। वन विभाग के मुताबिक 55 वर्षीय हथिनी लक्ष्मी के अगले पैर में हल्की चोट थी। उसके बाद से वह चोट संक्रमण में बदली और धीरे-धीरे नासूर बनती चली गई। दिसंबर 2018 से उसकी हालत बिगड़ती चली गई। संक्रमण तीनों पैरों में फैल गया और वह खड़े होने की स्थिति में नहीं रही। क्रेन की मदद से खड़ा किया जाता रहा। 20 जुलाई से उसके पैर क्रेन के सहारे खड़े रहने लायक भी नहीं रहे। बुधवार सुबह चार बजे उसने अंतिम सांस ली। डीएफओ वीपी सिंह ने पशु चिकित्सकों से उसका पोस्टमार्टम कराया। उसे वन भूमि में ही गड्ढा खोदकर दफना दिया गया।
25 कदम ले जाने में चालक के छूटे पसीने
मृत हथिनी को क्रेन की मदद से पट्टे के सहारे उठाकर दबाने के लिए ले जाया गया। भारी होने की वजह से 25 कदम की दूरी तक हथिनी को उठाकर ले जाने में क्रेन चालक के पसीने छूट गए। बारिश की वजह से जमीन गिली होने से धंसने के कारण क्रेन आगे नहीं बढ़ पाई। जेसीबी से धक्का देने के बाद भी क्रेन टस से मस नहीं हुई। इसके बाद हथिनी को वहीं पर रखकर दूसरा गड्ढा खोदकर दबाया गया। --------
वर्जन
हथिनी वन विभाग के परिवार का एक सदस्य थी। हथिनी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया। हर साउथ अफ्रीका, बरेली व मथुरा से भी चिकित्सक बुलाए गए, लेकिन उसकी हालत रोजाना खराब होती चली गई।
-वीपी सिंह, डीएफओ रामनगर वन प्रभाग।