पहाड़ की उर्वरा क्षमता को खत्म करने वाली लैंटाना व कालाबांस घास जड़ से होगी खत्म
पहाड़ की उर्वरा क्षमता को खत्म करने वाली घास को वन विभाग अब नष्ट करेगा। इसके लिए मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत की ओर से करीब डेढ़ करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : पहाड़ में जमीन की उर्वरा क्षमता को खत्म करने वाली घास को वन विभाग अब नष्ट करेगा। इसके लिए मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत की ओर से करीब डेढ़ करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा। लैंटाना व कालाबांस नामक प्रजाति इसमें शामिल हैं।
लैंटाना घास को विदेशी प्रजाति माना जाता है। उत्तर भारत में इसके लिए अनुकूल वातावरण होने के साथ यह बड़ी तेजी से उगती है। वहीं इसका बढऩा पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरनाक माना जाता है। क्योंकि जमीन की उर्वरा क्षमता को खत्म करने साथ झाड़ीनुमा प्रजाति की यह घास बतौर चारे के तौर पर इस्तेमाल करने की पर पशुओं के लिए भी घातक सिद्ध होती है। वहीं जैव विविधता के लिए खतरा पैदा करने वाली यह घासें जंगल की आग भड़काने का काम करती है। इसकी पत्तियों में तरल होता है। जो बड़ी तेजी से आग को फैलाती हैं। लैंटाना अपने आसपास अन्य कोई चारा प्रजाति को पनपने नहीं देती। लिहाजा उपजाऊ जमीन के लिए इसे विनाशकारी माना जाता है, जिस वजह से प्रदेश की वन पंचायत एरिया में कुल 1851 हेक्टयेर का एरिया चयनित किया गया है। जहां से इस घास का उन्मूलन किया जाना है। इसमें कुमाऊं का 625 व गढ़वाल का 1251 हेक्टेयर एरिया शामिल है। एक करोड़ 45 लाख का प्रस्ताव इसके लिए तैयार किया गया है। कैंपा योजना के तहत जल्द स्वीकृति मिलने की संभावना है।
कई प्रस्ताव किए गए हैं तैयार
वीके गांकटे, मुख्य वन संरक्षक, वन पंचायत ने बताया कि वन पंचायतों से जुड़े कई प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। जिसमें लैंटाना प्रजाति के उन्मूलन का प्रस्ताव भी शामिल है।
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