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बलियानाले में भूस्खलन जारी, 65 परिवारों को सरकारी विद्यालयों में विस्थापित किया गया

शहर के लिए नासूर बना बलियानाले में भूस्खलन जारी है। गुरुवार को पहाड़ी पर भारी मात्रा में भूस्खलन हुआ। दो दिनों तक मूसलधार बारिश के बाद झील के पानी की निकासी हुई तो नाले में पानी का फ्लो बढ़ गया। ऐसे में पहाड़ी का तलहटी से कटान होने लगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 09:27 AM (IST)
बलियानाले में भूस्खलन जारी, 65 परिवारों को सरकारी विद्यालयों में विस्थापित किया गया
बलियानाले में भूस्खलन जारी, 65 परिवारों को सरकारी विद्यालयों में विस्थापित किया गया

जागरण संवाददाता, नैनीताल : वर्षों से शहर के लिए नासूर बना बलियानाले में भूस्खलन जारी है। गुरुवार को पहाड़ी पर भारी मात्रा में भूस्खलन हुआ। दो दिनों तक मूसलधार बारिश के बाद झील के पानी की निकासी हुई तो नाले में पानी का फ्लो बढ़ गया। ऐसे में पहाड़ी का तलहटी से कटान होने लगा। बारिश बंद होने के बाद धूप खिली तो चट्टान चटकने लगीं। ऐसे में पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन हो गया। एहतियात के तौर पर प्रशासन की ओर से चिह्नित 65 परिवारों को सरकारी विद्यालयों में विस्थापित कर दिया गया। गुरुवार को भी पहाड़ी पर हो रहा भूकटाव आबादी क्षेत्र तक पहुंच गया। जीआइसी मैदान के किनारे बाउंड़ी भी खाई में समा गई। दोपहर बाद एसडीएम प्रतीक जैन ने क्षेत्र का निरीक्षण कर प्रभावित लोगों का हाल-चाल जाना।

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प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

शहर के कुछ समाजसेवियों ने बलियानाले में संबंधित विभागों पर भ्रष्टïाचार के आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम प्रतीक जैन को सौपा। बताया कि हर साल मिल रहे बजट से पहाड़ी का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। उपेक्षा से क्षेत्र के लोग आंदोलन की तैयारी में हैं। इस दौरान सभासद मनोज जगाती, सौरभ रावत, नवीन जोशी, अभिषेक मुल्तानिया आदि मौजूद रहे।

सरकारी विभाग है जिम्मेदार

कृष्णापुर के पूर्व सभासद डीएन भट्ट के अनुसार बलियानाले की इस स्थिति के लिए सरकारी विभाग ही जिम्मेदार है। 1972 में पहाड़ी पर हुए भूस्खलन के बाद वित्त मंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी ने 95 लाख का बजट स्वीकृत किया था। सुरक्षा कार्य करने की जिम्मेदारी लोनिवि तो डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को सौंप दी गई। सिंचाई विभाग का डिजाइन डिवीजन लखनऊ होने के कारण ट्रीटमेंट कार्य का डिजाइन तैयार होने में 15 वर्ष बीत गए। डेढ़ दशक बाद डिजाइन तो मिला मगर ट्रीटमेंट की लागत कई गुना बढ़ गई। इस अवधि में पहाड़ी में कई अन्य स्थानों से भी भूस्खलन होने लगा।


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