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जमरानी विस्थापितों को प्राग फार्म में बसाने से पहले राजस्व से सिंचाई विभाग को ट्रांसफर होगी जमीन

बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले छह गांव के 1323 परिवार जमीन लेने वालों की सूची में शामिल होंगे। हालांकि संख्या में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। कई लोगों ने भूमि अध्यापी की धारा 11 लागू होने से पहले परिवार में जमीन बंटवारा किया था।

By govind singhEdited By: Skand ShuklaPublished: Thu, 06 Oct 2022 12:20 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 12:20 PM (IST)
जमरानी विस्थापितों को प्राग फार्म में बसाने से पहले राजस्व से सिंचाई विभाग को ट्रांसफर होगी जमीन
जमरानी विस्थापितों को प्राग फार्म में बसाने से पहले राजस्व से सिंचाई विभाग को ट्रांसफर होगी जमीन

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: जमरानी बांध के विस्थापितों को किच्छा के प्राग फार्म में बसाने के लिए यह जमीन राजस्व से सिंचाई विभाग के खाते में आएगी। जिसके बाद ही ग्रामीणों को इस जमीन पर मालिकाना हक दिया जाएगा।

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जमरानी परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार बांध से जुड़ी कई प्रक्रिया वर्तमान में शासन स्तर पर चल रही है। जिसमें प्राग फार्म की 320 एकड़ जमीन सिंचाई के नाम करने का प्रस्ताव भी शामिल है।

बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले छह गांव के 1323 परिवार जमीन लेने वालों की सूची में शामिल होंगे। हालांकि, संख्या में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। कई लोगों ने भूमि अध्यापी की धारा 11 लागू होने से पहले परिवार में जमीन बंटवारा किया था।

पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल होने की वजह से 47 साल पुराने बांध निर्माण के प्रस्ताव को लेकर काफी उम्मीद जगी है। मुख्य बांध, डायवर्जन टनल और सुरक्षा के लिए बनाए जाने वाले क्राफ्ट डैम के निर्माण में 1828 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा।

इसके अलावा विस्थापन में 500 करोड़, बांध से हल्द्वानी तक पानी लाने के लिए 480 करोड़ और पावर प्लांट यानी विद्युत उत्पादन के लिए 122 करोड़ की जरूरत पड़ेगी। वहीं, डूब क्षेत्र में तिलवारी, मुरकुडिय़ा, उडूवा, गनराड़, पनियाबोर और पस्तोला गांव आएंगे।

पूर्व में हुए सर्वे के दौरान विस्थापित परिवारों की संख्या 1323 थी। विस्थापित श्रेणी में आ रहे लोगों को पूर्व में ऊधमसिंह नगर में कई जगहों पर जमीन दिखाई गई थी। जिसके बाद ग्रामीणो ने किच्छा के प्राग फार्म की जमीन को पसंद किया। यहां 320 एकड़ जमीन पर सभी मूलभूत सुविधाओं को विकसित कर विस्थापन किया जाना है।

प्रशांत बिश्नोई, जीएम जमरानी परियोजना ने बताया कि प्राग फार्म की 320 एकड़ भूमि पहले सिंचाई विभाग के नाम पर दर्ज होगी। उसके बाद ग्रामीणों को इस पर हक मिलेगा। शासन स्तर पर यह प्रक्रिया गतिमान है। जल्द निर्णय की संभावना है।

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