कुमाऊं विवि के प्राध्यापकों को मिलेगा सत्रांत लाभ
सत्रांत लाभ के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कुमाऊं विवि के प्राध्यापकों की मुराद पूरी हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने विवि के प्राध्यापकों को सत्रांत लाभ नहीं देने संबंधी आदेश को रद कर दिया है। यह सत्रांत लाभ उन्हें 30 जून तक मिलेगा।
जासं, नैनीताल : सत्रांत लाभ के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कुमाऊं विवि के प्राध्यापकों की मुराद पूरी हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने विवि के प्राध्यापकों को सत्रांत लाभ नहीं देने संबंधी आदेश को रद कर दिया है। यह सत्रांत लाभ उन्हें 30 जून तक मिलेगा।
कुमाऊं विवि के अल्मोड़ा परिसर में शिक्षा संकाय के प्रो. नवीन चंद्र ढौंडियाल के अलावा चार अन्य प्राध्यापकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सत्रांत लाभ दिलाने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि विवि के रूल्स के अनुसार सत्रांत लाभ दिया जा सकता है। इसी साल 24 सितंबर को हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद प्राध्यापकों की याचिका को खारिज कर दिया। इस आदेश के खिलाफ प्रो. ढोंडियाल व अन्य प्राध्यापकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। इसमें सरकार व विवि ने सत्रांत लाभ देने का विरोध किया। आठ अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट की संयुक्त पीठ ने सरकार, विवि व याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट का आदेश रद कर दिया। जिसके बाद इन प्राध्यापकों को सत्रांत लाभ का रास्ता साफ हो गया।
याचिकाकर्ता प्रो. ढौंडियाल, प्रो आरएस जलाल, मो. गुफरान सितंबर में रिटायर हो चुके हैं। जबकि डा. विजय पांडे, प्रो. जेएस रावत इसी माह रिटायर होने वाले हैं। विवि का शैक्षणिक सत्र पहली जुलाई से 30 जून तक होता है।