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कुमाऊं विश्वविद्यालय को एशिया रैंकिंग में मिला सम्मानित स्थान, जानिए किस रैंक पर है विवि

एशिया के विश्वविद्यालयों की 2021 की रैंकिंग जारी की गई है। जिसमें कुमाऊं विश्वविद्यालय को एशिया विश्वविद्यालय रैंकिंग में 551-600 और देश के विश्वविद्यालयों में 81-85 स्थान की रैंकिंग हासिल की है।विश्वविद्यालयों की रैंकिंग क्वैकारेल्ली सिमोंड्स वैश्विक उच्च शिक्षा थिंक-टैंक ने जारी की है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 04:20 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 04:20 PM (IST)
कुमाऊं विश्वविद्यालय को एशिया रैंकिंग में मिला सम्मानित स्थान, जानिए किस रैंक पर है विवि

नैनीताल, जेएनएन : एशिया के विश्वविद्यालयों की 2021 की रैंकिंग जारी की गई है। जिसमें कुमाऊं विश्वविद्यालय को एशिया विश्वविद्यालय रैंकिंग में 551-600 और देश के विश्वविद्यालयों में 81-85 स्थान की रैंकिंग हासिल की है। विश्वविद्यालयों की रैंकिंग क्वैकारेल्ली सिमोंड्स, वैश्विक उच्च शिक्षा थिंक-टैंक और दुनिया के सबसे बड़े परामर्श विश्वविद्यालय रैंकिंग पोर्टफोलियो के संकलक ने जारी किया है।

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23 नवंबर को जारी एशिया-विशिष्ट संस्करण के लिए, क्यूएस द्वारा 11 मापदंडों के आधार पर विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन की तुलना की गयी। जिनमें शैक्षिक स्थिति, स्नातक रोजगार, अनुसंधान गुणवत्ता, वेब उपस्थिति, परिसर में अंतर्राष्ट्रीयकरण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क और प्रत्येक संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विविधता मुख्य है। कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति प्रो एनके जोशी के नेतृत्व में राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार के लिए शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में बेहतर किया जा रहा है।

विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. जोशी ने प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को बधाई दी। वीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय को सृजनात्मकता, उद्यमिता, नवाचार, शोध एवं अनुसंधान का महत्वपूर्ण केंद्र बनाना है। अगर हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो अनुसंधान एवं विकास को ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा। राष्ट्र के निर्माण के लिए जरूरी कोई भी पक्ष हो, वह नवीकरणीय ऊर्जा का क्षेत्र हो, धर्म और दर्शन का क्षेत्र हो, अंतरिक्ष से जुड़ी बातें हों, शिक्षा या समाज से जुड़ी संकल्पनाएं हों। सभी क्षेत्रों में जब तक शोध के महत्व को अंगीकार नहीं किया जाएगा तब तक एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता।


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