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रुद्रपुर में बनेगा कुमाऊं का पहला मानसिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, 1.87 करोड़ रुपये

मानसिक दिव्यांगों के इलाज व पुनर्वास के लिए कुमाऊं का पहला केंद्र रुद्रपुर में बनाया जा रहा है। 50 बेड की क्षमता वाले केंद्र के लिए समाज कल्याण निदेशालय से 1.87 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। अभी तक सिर्फ देहरादून के सेलाकुई में इसका संचालन किया जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 08:02 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 08:02 AM (IST)
रुद्रपुर में बनेगा कुमाऊं का पहला मानसिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, 1.87 करोड़ रुपये
रुद्रपुर में बनेगा कुमाऊं का पहला मानसिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, 1.87 करोड़ रुपये

मनीस पांडेय, हल्द्वानी : मानसिक दिव्यांगों के इलाज व पुनर्वास के लिए कुमाऊं का पहला केंद्र रुद्रपुर में बनाया जा रहा है। 50 बेड की क्षमता वाले केंद्र के लिए समाज कल्याण निदेशालय से 1.87 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। अभी तक सिर्फ देहरादून के सेलाकुई में मानसिक चिकित्सा केंद्र का संचालन किया जा रहा है।

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बौद्धिक अक्षमता या मानसिक दिव्यांगता से ग्रसित लोगों को एम्स ऋषिकेश, बरेली व लखनऊ आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में समाज कल्याण निदेशालय की ओर से रुद्रपुर जिला मुख्यालय के करीब स्थित फुलसुंगा में निर्माण कार्य प्रस्तावित है। 709.39 वर्ग मीटर जमीन पर दो मंजिला भवन की जिम्मेदारी उत्तराखंड पेयजल निर्माण इकाई को दी गई है। महिला व पुरूष दोनों के लिए केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। डीडीआरसी के माध्यम से अन्य दिव्यांगों के पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन बौद्धिक अक्षमता के मामलों में लोगों को परेशान होना पड़ता है।

केंद्र में डिस्पेंसरी की सुविधा

बौद्धिक अक्षमता वालों के लिए पुनर्वास केंद्र में डिस्पेंसरी की भी सुविधा रहेगी। जहां डाक्टर व चिकित्सा स्टाफ की मौजूदगी 24 घंटे रखी जाएगी। जिससे मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

स्वास्थ्य व स्वावलंबन पर फोकस

बौद्धिक अक्षमता से ग्रस्त लोगों को पुनर्वास केंद्र पर स्वास्थ्य व स्वावलंबन पर फोकस किया जाएगा। जहां गरीब वर्ग के लोगों को प्राथमिकता के साथ इलाज की सुविधा दी जाएगी। बीडी पांडे चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डा. गिरीश पांडेय ने बताया कि बौद्धिक अक्षमता से ग्रस्त लोगों के माता-पिता ही उनकी सहायता कर सकते हैं। इलाज नहीं होने पर बाद में स्थिति गंभीर हो जाती है।

नैनीताल जिले में 50 मामले हर माह

नैनीताल जिले में बौद्धिक अक्षमता से जुड़े करीब 50 से ज्यादा मामले हर माह अस्पताल पहुंचते हैं। मनोचिकित्सक डा. गिरीश पांडे बताते हैं कि नैनीताल व हल्द्वानी के बेस अस्पताल में इलाज के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। समाज कल्याण निदेशालय, हल्द्वानी के निदेशक राजेंद्र कुमार ने कहा किरुद्रपुर के फुलसुंगा में मानसिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र बनना है। जिसके लिए 1.87 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है।


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