घर की धूल से अस्थमा का अधिक खतरा, जानें इसके कारण और बचाव के तरीके NAINITAL NEWS
मौसम में बदलाव घर के अंदर का प्रदूषण धूमपान वायु प्रदूषण और धूल के कणों से फेफड़ों की समस्या बढ़ गई है। इससे बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चों व युवाओं की भी सांस फूल रही हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : मौसम में बदलाव, घर के अंदर का प्रदूषण, धूमपान, वायु प्रदूषण और धूल के कणों से फेफड़ों की समस्या बढ़ गई है। इससे बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि बच्चों व युवाओं की भी सांस फूल रही हैं। ऐसे में अस्थमा से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। खासकर यह मौसम इस तरह की बीमारियां को और बढ़ा देता है। घर की धूल से अस्थमा का ज्यादा खतरा रहता है। रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में पहुंचे साईं अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश चंद जोशी ने कुमाऊं भर से फोन करने वाले लोगों को परामर्श दिया।
धूमपान व प्रदूषण से फेफड़ों की नलिकाओं में सूजन
धूमपान और वायु प्रदूषण से सांस की नलिकाओं में सूजन आने लगती है। यह क्रोनिक ऑब्सट्रेक्टिक पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी) की प्रारंभिक अवस्था है। सूजन बढऩे पर सांस फूलने लगती है, फेफड़ों की क्षमता प्रभावित होती है। इससे ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। वहीं, कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ता है।
पनपते हैं तमाम कीटाणु
घर में टंगे पदों की धूल, गद्दे, पुराने कपड़े आदि में तमाम तरह के कीटाणु पनप जाते हैं। इसके अलावा कागज व अन्य तरह की धूल भी अस्थमा को बढ़ाने का मुख्य कारण है।
अस्थमा होने के कारण
- घर में या उसके आसपास धूल में रहना
- घर में पालतू जानवर से
- धूमपान करने व च्यादा नमक खाने से
- सर्दी के मौसम में अधिक ठंड होने से
जानें क्या हैं अस्थमा के लक्षण
- खांसी, छींक या सर्दी जैसी एलर्जी
- सीने में खिचाव या जकडऩ का महसूस होना
- सांस लेते वक्त घरघराहट जैसी आवाज का आना
- सिर का भारी होना और थकावट लगना
बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका
- मधुमेह को रखें नियंत्रित
- दूध, पनीर व जंक फूड से करें परहेज
- ठंड व ठंडे पेय लेने से बचें
- थकान का काम न करें