किरसाण खेती से जोड़ने की अनूठी प्रतियोगिता
कत्यूर घाटी के द्यौनाई क्षेत्र में हितैषी संस्था के सचिव डा. किशन राणा ने वर्ष 2016 में इस प्रतियोगिता की शुरुआत की। पिछले पांच साल से आयोजित हो रही किरसाण प्रतियोगिता किसी सरकारी इमदाद से नहीं बल्कि जन सहयोग से आयोजित की जाती है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जंगली जानवरों के आतंक व सरकारों की बेरुखी के चलते जहां आज लोग खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं, वहीं कत्यूर घाटी में आयोजित हो रही किरसाण प्रतियोगिता लोगों को खेती से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। खेती के वैज्ञानिक तौर-तरीकों को समझने और पलायन रोकने में यह प्रतियोगिता मददगार साबित हो रही है।
कत्यूर घाटी के द्यौनाई क्षेत्र में हितैषी संस्था के सचिव डा. किशन राणा ने वर्ष 2016 में इस प्रतियोगिता की शुरुआत की। पिछले पांच साल से आयोजित हो रही किरसाण प्रतियोगिता किसी सरकारी इमदाद से नहीं, बल्कि जन सहयोग से आयोजित की जाती है। महानगरों के भौतिकवादी जीवन को छोड़कर कत्यूर घाटी की भगरतोला न्याय पंचायत में पांच साल पूर्व चालीस ग्राम सभाओं के ग्रामीणों को खेती से जोड़ने की डा. राणा की यह अनूठी मुहिम अब रंग लाने लगी है। हितैषी संस्था ने न्याय पंचायत स्तर पर शुरु की गई यह प्रतियोगिता अब दो जिलों में फैल गई है।लोगों में अब खेती के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है।
खासतौर पर कोरोनाकाल से पहले खेती छोड़कर मैदानों की ओर रुख करने वाले लोगों को इस प्रतियोगिता से प्रेरणा मिल रही है।लाकडाउन में शहर छोड़कर पहाड़ आए लोग अब अपनी पुस्तैनी बंजर भूमि को खोदकर खेती करने लगे हैं।यह प्रतियोगिता जहां श्रम का सम्मान कर रही है, वहीं यह पलायन रोकने में मील का पत्थर साबित हो रही है।
इसे कहा जाता है पहाड़ में किरसाण
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी अत्यधिक कर्मठता, लगनशीलता, समर्पण, जुझारुपन, संघर्षशीलता से जो महिला तेजी के साथ अपने कार्यों को निपटाती है, उसे किरसाण कहा जाता है।यहीं मातृशक्ति पहाड़ की रीढ़ भी है।इससे महिलाओं में सीखने की क्षमता भी विकसित होती है।
17 दिसंबर से होगी किरसाण प्रतियोगिता
तीन दिवसीय छठवीं किरसाण प्रतियोगिता आगामी 17 दिसंबर से हितैषी विद्या निकेतन द्यौनाई में प्रारंभ होगी।यह जानकारी देते हुए आयोजक डॉ किशन राणा ने बताया कि प्रथम दिन शगुन आंखर होंगे।परिचय होगा। द्वितीय दिवस पर 18 दिसंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और किरसाणों से बातचीत होगी।19 दिसंबर को कौसानी में सांस्कृतिक रैली निकाली जाएगी। फाइनल प्रतियोगिता होगी। किरसाणों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम में कई नामचीन हस्तियां शामिल होंगी।
सौ अंकों की होगी प्रतियोगिता
आयोजक डा. किशन राणा ने बताया कि घास काटने की प्रतियोगिता दस अंकों की होती है।जो पूर्व में हो चुकी है।सर्वोत्तम गाय व भैंस के लिए पांच-पांच अंक, बछिया- बछड़े व थोरी के लिए तीन-तीन अंक तय किए गए हैं।इसके अलावा खेती-किसानी से संबंधित सामान्य ज्ञान व साक्षात्कार पचास अंकों का होगा।प्रतियोगिता कुल सौ अंकों की होगी।उन्होंने लोगों से प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए सहयोग करने की अपील की है।