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आशितबाजी करते समय रखें प्रदूषण का ख्याल

दिवाली की रात हल्द्वानी शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए लोगों को योगदान देना होगा।

By Edited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 07:40 PM (IST)
आशितबाजी करते समय रखें प्रदूषण का ख्याल
आशितबाजी करते समय रखें प्रदूषण का ख्याल
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: दिवाली की रात हल्द्वानी शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए लोगों कों अपना योगदान देना होगा। हर साल प्रदूषण का बढ़ता आंकड़ा खतरनाक संकेत दे रहा है। तीन साल के ग्राफ पर गौर करें तो 16 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण बढ़ा है। आतिशबाजी का धुआं और पटाखों की आवाज इसकी मुख्य वजह है। आतिशबाजी की वजह से वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण होता है। वर्ष 2015 की दिवाली पर 217 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण दर्ज हुआ था। जबकि 2016 में मात्रा चार माइक्रोग्राम गिरकर 223 पर पहुंची। पिछले साल उम्मीद थी कि लोगों की जागरूकता के चलते प्रदूषण और घटेगा, लेकिन तकनीकी परीक्षण के बाद नतीजे नकारात्मक निकले। आकड़ा 233 माइक्रोग्राम पहुंच गया। पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी रात आठ से दस बजे तक का समय आतिशबाजी के लिए निर्धारित किया है। =============== सौ माइक्रोग्राम से ज्यादा सेहत के लिए खराब पिछले तीन साल में प्रदूषण की मात्रा लगातार राष्ट्रीय व डब्लूएचओ के मानक से ज्यादा निकली। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम-10 पार्टिकुलेट मैटर का वार्षिक औसत 60 और 24 घंटे के हिसाब से 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसका वार्षिक औसत 20 व 24 घंटे में प्रदूषण का स्तर 50 माइक्रोग्राम से अधिक सही नहीं है। ============== महिला अस्पताल व एमबीपीजी कॉलेज के बगल में स्थित पंप पर वायु प्रदूषण जांचने को मशीन लगाई गई है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण को हैंड मशीन का इस्तेमाल होता है। जिसे अलग-अलग जगहों पर ले जाया जाता है। 24 घंटे की मॉनीट¨रग करने के बाद आंकड़े मिलेंगे। -डीके जोशी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी ============== आबादी में 45 डेसीबल से ज्यादा साउंड खतरनाक पटाखों को लेकर खासी सतर्कता बरतनी की जरूरत है। मानक के अनुसार शहरी आबादी में 35-40 व इंडस्ट्रीयल एरिया में साउंड 50-60 डेसीबल से ज्यादा ठीक नहीं। ============== रोशनी वाले छोटे पटाखे बेहतर पटाखे खरीदते समय ब्रांड का ख्याल रखना चाहिए। कोशिश करें कि रोशनी वाले छोटे पटाखे जलाएं। बाजार में इको फ्रेंडली पटाखे भी उपलब्ध हैं। पैकेट पर साउंड की डेसीबल दर्ज होती है।

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