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Kasardevi temple : चुंबकीय शक्ति का केंद्र कसारदेवी, हर साल पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु

Kasardevi temple उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी शक्तिपीठ में लाखों लोगों की आस्था निहित है। पर्यटकों के साथ हर साल यहां श्रद्धालु भी बड़ी तादाद में पहुंचते हैं। कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस आठ प्वाइंट है।

By Jagran NewsEdited By: Skand ShuklaPublished: Sun, 02 Oct 2022 03:00 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 03:00 PM (IST)
Kasardevi temple : चुंबकीय शक्ति का केंद्र कसारदेवी, हर साल पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु

अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता : Kasardevi temple : उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी शक्तिपीठ में लाखों लोगों की आस्था निहित है। पर्यटकों के साथ हर साल यहां श्रद्धालु भी बड़ी तादाद में पहुंचते हैं। कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस आठ प्वाइंट है। यह स्थान नासा ने चयन किया है। यह मंदिर अद्भुत चुंबकीय शक्ति लिए हुए है।

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“कसार” नामक गांव में स्थित है मंदिर

कसार देवी मंदिर दूसरी शताब्दी का है। बागेश्वर हाईवे पर “कसार” नामक गांव में स्थित ये मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना हुआ है। कहा जाता है कि जो भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी होती है। कात्यायनी रूप में देवी सबसे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर में ही प्रकट हुई थी।

इस मंदिर में नवदुर्गा के छठवें रुप कात्यायनी देवी की “कसार देवी मंदिर” में पूजा की जाती है। यहाँ आने वाले को ना सिर्फ प्रकृति की खूबसूरती देखने को मिलती है बल्कि मानसिक शांति की भी अनुभूति होती है। स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए थे। यह क्रैंक रिज के लिए भी जाना जाता है। जहां 1960-70 के दशक के हिप्पी आन्दोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था।

वैन एलेन बेल्ट है कसारदेवी

कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। पिछले तीन साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं।

वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता लगा रहे है कि इसका मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरु में स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में समानताएं हैं।

घने जंगल के बीच में है मदिर

मंदिर वर्तमान समय के मंदिरों के डिजाइन के अनुसार ही निर्मित किया गया है। घने जंगलों के बीच बसे इस मंदिर का समय-समय पर जीर्णाेद्धार किया जाता रहा है। गुफा में होने के कारण बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचे कासरदेवी

how to reach Kasardevi temple : दिल्ली से हल्द्वानी तक ट्रेन और बस के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। यहां से फिर बस व टैक्सी के माध्यम से 100 किमी दूर अल्मोड़ा पहुंचा जाता है। अल्मोड़ा मुख्यालय से 10 किमी दूर कसारदेवी मंदिर है। यहां जाने के लिए टैक्सियों का प्रयोग करना पड़ता है।

कसार देवी के पुजारी हेम चंद्र जोशी ने बताया कि कसारदेवी आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है। नवरात्रों में विशेष पूजा अर्चना होती है। इस जगह दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते है। माता हर मनोकामना पूरी करती है।


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