Kamika Ekadashi : सावन माह की कामिका एकादशी व्रत करने से मिलता है कई यज्ञों का फल
Kamika Ekadashi बुधवार चार अगस्त को कामिका एकादशी व्रत है। स्कंद पुराण के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत पूजा व दान करने का विधान है। तीर्थ स्नान करने का भी महत्व बताया गया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Kamika Ekadashi :बुधवार चार अगस्त को कामिका एकादशी व्रत है। स्कंद पुराण के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत, पूजा व दान करने का विधान है। तीर्थ स्नान करने का भी महत्व बताया गया है। ऐसा करने से जाने-अनजाने हुए पाप खत्म हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी का कहना है कि दान-पुण्य के साथ जानबूझकर दोबारा कोई गलती या पाप न हो इसका भी संकल्प लेना चाहिए।
एकादशी में होता है निर्जला व्रत
सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है। सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूॢत की पूजा करना चाहिए।
ब्रह्माजी ने बताया है व्रत का महत्व
कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है। इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवॢष नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता।
इस तरह करें पूजन
भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए। पूरे दिन बिना पानी पीये विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है। इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूरी होती हैं। महिलाएं इस व्रत को पूरे मनोयोग से रखती हैं।