जागरण संवाददाता, नैनीताल: Kailas Mansarovar Yatra: कैलास मानसरोवर यात्रा इस बार लगातार चौथे साल भी होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। ऐसे में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने मई प्रथम सप्ताह से प्रस्तावित आदि कैलास यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है।

चीन, तिब्बत सीमा तक सड़क निर्माण की वजह से श्रद्धालुओं को करीब दो सौ किमी यात्रा वाहन से करने की सुविधा मिलने लगी है। इससे 19 दिन की यात्रा अवधि घटकर आठ दिन की हो गई है।

आदि कैलास यात्रा मई प्रथम सप्ताह से नवंबर प्रथम सप्ताह तक प्रस्तावित

केएमवीएन संचालित आदि कैलास यात्रा इस बार मई प्रथम सप्ताह से नवंबर प्रथम सप्ताह तक प्रस्तावित की गई है। यात्रा काठगोदाम से शुरू होकर कैंची धाम, जागेश्वर धाम, पिथौरागढ़, धारचूला, बूंदी, गुंजी, नाभीढांग, ऊं पर्वत दर्शन, कालापानी, व्यास गुफा दर्शन, नाबी गांव से कुटी होते हुए ज्योलीकांग, पार्वती सरोवर दर्शन, गौरीकुंड दर्शन से आदि कैलास तक होती है।

निगम के महाप्रबंधक (प्रशासन) एपी बाजपेयी के अनुसार यात्रा के रूट चार्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। फरवरी अंत से आनलाइन पंजीकरण आरंभ हो जाएंगे। यात्रा में परिवहन आदि व्यवस्थाएं आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से होगी। एजेंसी के चयन के लिए तीसरी बार निविदा जारी की गई है।

2019 के बाद से नहीं हुई कैलास मानसरोवर यात्रा

केएमवीएन संचालित कैलास मानसरोवर यात्रा कोविड की वजह से 2019 के बाद नहीं हो सकी है। इस बार चीन में फिर से कोविड संक्रमण व अन्य स्थितियों की वजह से विदेश मंत्रालय की ओर से जनवरी में शुरू होने वाला आनलाइन पंजीकरण अब तक आरंभ नहीं हो सका है।

पूर्व में दिसंबर में केएमवीएन, आइटीबीपी व पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के साथ बैठक और मार्च में लाटरी के माध्यम से दलों का चयन भी हो जाता था। यह यात्रा जून से सितंबर अंतिम सप्ताह तक होती थी। जीएम बाजपेयी के अनुसार कैलास मानसरोवर यात्रा के संबंध में विदेश मंत्रालय की ओर से कोई दिशा निर्देश नहीं हैं।

मंत्रालय ने यात्रा को लेकर भी कोई संपर्क नहीं किया है। ऐसे में इस बार यात्रा की संभावना नहीं है। नेपाल के रास्ते भी यात्रा बंद है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर भी फिलहाल यात्रा के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

अब तक करीब चार हजार ने किए आदि कैलास के दर्शन

केएमवीएन 1994 से आदि कैलास यात्रा आयोजित कर रहा है। तब तीन दलों में 69 श्रद्धालु गए थे। इसके बाद से यात्रा को लेकर उत्साह बढ़ता गया। 2008 में 371 श्रद्धालु, 2017 में 424 और 2022 में साढ़े पांच सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने आदि कैलास के दर्शन किए।

Edited By: Nirmala Bohra