जोहार की यादें लोगों के जेहन में बिखेर गया महोत्सव
जोहार सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी की ओर से आयोजित दो दिवसीय महोत्सव का समापन हो गया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: जोहार सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी की ओर से आयोजित दो दिवसीय जोहार महोत्सव का रविवार को रंगारंग समापन हो गया। नन्हे-मुन्ने बच्चों का फैंसी ड्रेस शो, महिलाओं की परंपरागत व्यंजन सहित अन्य प्रतियोगिताएं भी हुई। साथ ही शौका समाज से जुड़े बाल कलाकारों व महिलाओं ने लोकनृत्य प्रस्तुत किए। सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सात बार एवरेस्ट फतेह कर चुके पर्वतारोही लवराज धर्मशक्तू ने शुभारंभ किया। गायक अमित सागर की चैता की चैत्वाली गीत की शानदार प्रस्तुति पर दर्शक झूम उठे।
भोटियापड़ाव स्थित एमबी इंटर कॉलेज ग्राउंड में चल रहे जोहार महोत्सव में रविवार को लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। अवकाश होने की वजह से आसपास के लोग अपने परिवार के साथ महोत्सव में पहुंचे और आयोजन स्थल पर लगाए गए परंपरागत व्यंजनों, ऊनी कपड़ों, पहाड़ी दालों के स्टॉल पर जमकर खरीदारी की। महोत्सव में सुबह के सत्र की शुरुआत बच्चों की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता से हुई। जिसमें आधुनिक वेशभूषा के साथ ही नन्हे-मुन्ने बच्चे शौका समाज की परंपरागत पोशाक में नजर आए। महिलाओं की जोहारी शौका व्यंजन प्रतियोगिता में मडुवे की रोटी, तिमूर की चटनी, लाल रंग के पहाड़ी चावल से बने पकवान लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे।
इसके बाद जोहारी संस्कृति पर आधारित लाइव क्विज प्रतियोगिता हुई। जिसमें छह टीमें बनाई गई। टीमों से बारी-बारी सामान्य ज्ञान और जोहार घाटी पर आधारित प्रश्न पूछे गए। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को जोहार सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए। सायंकालीन सांस्कृतिक सत्र में छितकू-हिवांल सांस्कृतिक दल के कलाकारों ने लोकनृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मुंबई से आए विक्रम बोरा की नृत्य प्रस्तुतियां शानदार रही।
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लोक गीतों की धुन पर थिरके दर्शक
जोहार महोत्सव में सायंकालीन सांस्कृतिक सत्र में छितकू-हिवांल सांस्कृतिक दल के कलाकारों ने लोकनृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद अमित सागर ने अपने चिरपरिचित अंदाज में चैता की चैत्वाल गीत सुनाया। मुंबई से आए विक्रम बोरा की बब्बल डांस प्रस्तुतियां शानदार रही। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्व. गायक पप्पू कार्की के साथ भी कई बार मंच साझा किया है। यह पहली बार है, जब वह उनके बिना प्रस्तुति दे रहे हैं। इसके साथ ही गायिका खुशी जोशी, गोविंद दिगारी सहित अन्य कलाकारों की प्रस्तुति यादगार रही।
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जड़ी-बूटियों की खूब हुई बिक्री
महोत्सव में लगाए गए स्टॉल पर लोगों ने हिमालयी गंदरायन, जड़ी-बूटी से तैयार धूपबत्ती, मसालों की खूब खरीदारी की। मल्ला जोहार के उच्च हिमालय क्षेत्र में होने वाली विशुद्ध जड़ी-बूटियों की महक से स्टॉल के आसपास से गुजरते लोग खरीदारी से अपने आपको नहीं रोक पाए।
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साहित्य साधना से संस्कृति की सेवा कर रहे गजेंद्र पांगती
= जोहार के जनसेवक से पाठकों का परिचय कराएगी पांगती की पांचवीं पुस्तक जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: साहित्य और लेखन के माध्यम से जोहार घाटी के शौका समाज के लोगों की लोक संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन व जीविकोपार्जन से जुड़ी चीजों को पुस्तक के माध्यम से दुनिया के सामने लाने वाले लेखक गजेंद्र सिंह पांगती की पांचवी पुस्तक 'धरम राय-जोहार का जननायक' का नौवें जोहार महोत्सव में विमोचन किया गया।
गजेंद्र पांगती ने बताया कि यह एक ऐसे शौका की जीवनी है जो जीवनभर निस्वार्थ जनसेवा करते रहे। उन्होंने ऐसे कार्य किए जो तत्कालीन समाज व संदर्भ में असंभव तो नहीं थे, लेकिन बहुत कठिन जरूर थे। 1935 में अपने जोहार भ्रमण के दौरान तत्कालीन अल्मोड़ा जिले के कलेक्टर ने धरम राय के कार्यों को देखते हुए उन्हें प्रशंसा पत्र दिया था। मापांग में नदी का रुख बदलने और मिलम में पानी लाने की हसरत दिल में लिए 1964 में उनका निधन हुआ।
इससे पहले गजेंद्र सिंह पांगती जोहारी शौका समाज पर आधारित चार पुस्तकें लिख चुके हैं। जिनमें आत्मकथा संक्रमण, जोहार किंकर बाबू राम सिंह, चैती नखराली, छिला ज्वार छिल शौका समाज के पाठक वर्ग सहित अन्य वर्गों में भी चर्चित रही।