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चीन सीमा के समानांतर मुनस्यारी से चमोली तक स्वीकृत सड़क का सर्वे कर संयुक्त दल लौटा

चीन सीमा के समानांतर मुनस्यारी से चमाेली जिले तक सड़क निर्माण के सर्वे का काम पूर हो गया है। सड़क मुनस्यारी की चीन से लगी सीमा पर मिलम से टोपीढुंगा होते हुए चमोली जिले की सीमा सोमना तक बननी है। सड़क का सर्वे कर दल वापस लौट चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 03:10 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 03:10 PM (IST)
चीन सीमा के समानांतर मुनस्यारी से चमोली तक स्वीकृत सड़क का सर्वे कर संयुक्त दल लौटा
चीन सीमा के समानांतर मुनस्यारी से चमाेली जिले तक सड़क निर्माण के सर्वे का काम पूर हो गया है।

मुनस्यारी, जेएनएन : चीन सीमा के समानांतर मुनस्यारी से चमाेली जिले तक सड़क निर्माण के सर्वे का काम पूर हो गया है। सड़क पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी की चीन से लगी सीमा पर मिलम से टोपीढुंगा होते हुए चमोली जिले की सीमा सोमना तक बननी है। सड़क का सर्वे कर दल वापस लौट चुका है। 72 किमी लंबी सड़क बनते ही मिलम क्षेत्र चमोली से जुड़ जाएगा। मिलम क्षेत्र के दुंग से टोपीढुुंगा होते हुए चीन सीमा के समानांतर चमोली जिले की सोमना तक सड़क स्वीकृत है। उच्च हिमालय में बनने वाली सड़क के सर्वे के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग व वन विभाग को जाना था। इस संबंध में वनाधिकारी डा. विनय भार्गव द्वारा वन रेंजर मुनस्यारी को सर्वे के लिए जाने के आदेश दिए गए थे। आदेश में कहा गया था कि मौके पर मिलम और जोशीमठ की आइटीबीपी से संपर्क करना है।

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29 सिंतबर को दल मुनस्यारी से रवाना हुआ। तीस सितंबर को दल मुनस्यारी से बगलधार पहुंचा। एक अक्टूबर मापांग, दो अक्टूबर को मिलम पहुंचा। तीन सितंबर को दल दुुंग पहुंचा। दुंग से उच्च हिमालय में चलता हुआ 29 किमी दूर गंगपानी पहुंचा। ढुंग से आगे सुबह सारे नदी, नाले बर्फ से जमे रहते हैं। गंगपानी में जंगल एक रात्रि टेंट लगाकर बिताई। निरीक्षण दल में गए जिले के सबसे वरिष्ठ वन क्षेत्राधिकारी मुनस्यारी पूरन सिंह देऊपा के नेतृत्व में दल सर्वे के लिए गया। देऊपा ने बताया कि गंगपानी में रात को गर्म रहने के लिए स्लीपिंग बैग के अंदर गर्म पानी की बोतल रखी जो सुबह तक जम कर बर्फ बन चुकी थी। गंगपानी से दल सर्वे करता पांच किमी दूर टोपीढुंगा 4500 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचा।

टोपीढुंगा से नौ किमी दूर सुदांग दल पहुुंचा। सुदांग से 19 किमी पैदल चल कर दल लपथल पहुंचा। लपथल से 12 किमी चल कर मलारी पहुंचा। जहां पर चमोली जिले की सीमा सोमना मिली। जहां तक पूर्व में ही सड़क बन चुकी है। दल यहां से वाहन से चमोली होते हुए गुरु वार रात्रि दो बजे मुनस्यारी पहुंचा। दल में रेंजर देऊपा के साथ फारेस्टर त्रिलोक सिंह राणा, अर्दली बहादुर सिंह राणा और पोटर्स शामिल थे। दल में सीपीडब्ल्युडी के दिल्ली निवासी अवर अभियंता दुंग से आगे नहीं चल सके। दल को आइटीबीपी और सेना की कुमाऊं स्काउट के जवानों द्वारा सहयोग दिया गया।

दो हजार करोड़ की लागत से बनेगी सड़क

मुनस्यारी के दुंग से चमोली के सोमना तक 72 किमी सड़क की डीपीआर 2000 करोड़ की है। इस सड़क के बनने से पिथौरागढ़ जिला सीधे चमोली से जुड़ जाएगा। इस मार्ग के बनने से मुनस्यारी से बद्रीनाथ पहुंचना आसान हो जाएगा। अतीत में मुनस्यारी के लोग इसी मार्ग से पैदल बद्रीनाथ जाते थे।

दो वर्ष पूर्व होना था सर्वे

ढुंग से सोमना (चमोली) तक स्वीकृत इस मार्ग की सर्वे दो वर्ष पूर्व होनी थी, परंतु अत्यधिक ऊंचाई में सर्वे के लिए वन विभाग का कोई भी कर्मी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। पहली बार सबसे उम्रदराज और जिले में सबसे अधिक उम्र के वन रेंजर पूरन सिंह देऊपा ने हिम्मत बांधी और 4500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पहुंच कर वन भूमि का सर्वे किया है। अब मार्ग निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ होने के आसार हैं।


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