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100 स्टाफ और 12 बसों वाले जेएनएनयूआरम डिपो का काठगोदाम में विलय

अपै्रल 2010 में बने जेएनएनयूआरएम डिपो का अस्तित्व खत्म हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 07:30 PM (IST)
100 स्टाफ और 12 बसों वाले जेएनएनयूआरम डिपो का काठगोदाम में विलय
100 स्टाफ और 12 बसों वाले जेएनएनयूआरम डिपो का काठगोदाम में विलय

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अपै्रल 2010 में बने जेएनएनयूआरएम डिपो का अस्तित्व खत्म हो गया है। कुमाऊं के इस एकमात्र डिपो का विलय काठगोदाम डिपो में कर दिया गया है। इस डिपो के पास कुल 12 बसें थीं, जिनके संचालन में करीब 100 लोगों का स्टाफ लगाया गया था। ये सभी बसें अपनी आयु सीमा भी पूरी कर चुकी हैं, जिसके कारण इन्हें नीलाम श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। गिनती की बसें होने की वजह से परिवहन निगम को घाटे का सामना करना पड़ रहा था। भारी-भरकम स्टाफ को सैलरी देने में भी पसीने छूट रहे थे।

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उत्तराखंड में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत हरिद्वार, देहरादून व काठगोदाम में तीन डिपो बनाए गए थे। रोडवेज मुख्यालय ने फिलहाल हरिद्वार व दून डिपो को बंद नहीं किया है। इन दो डिपो को अनुबंधित बसें मिलने की वजह से बस बेड़ा कम नहीं हुआ, मगर जेएनएनयूआरएम काठगोदाम के पास गाड़ियों का संकट खड़ा हो गया था। आर्थिक संकट के चलते कर्मचारियों को चार माह से सैलरी तक भी नहीं मिली। ऐसे में मुख्यालय ने डिपो बंद करने का फैसला लिया है। केंद्र ने दी थीं 46 बसें

2010 में केंद्र सरकार से जेएनएनयूआरएम डिपो को 46 बसें मिली थीं। इसमें 25 छोटी और 21 बड़ी बसें थीं। इनमें से वर्तमान में डिपो के पास सिर्फ दो बसें ही बची थीं। बाकी 10 बसें परिवहन निगम ने दी थीं। ये बसें पर्वतीय रूट पर आयु पूरी कर चुकी थीं, मगर मैदान में चलने की स्थिति में थी। रामनगर व काशीपुर भी ट्रांसफर

निगम अफसरों के मुताबिक, जेएनएनयूआरम में 14 बुकिंग क्लर्क, एक अकाउंटेंट, एक कार्यालय सहायक, एक इंचार्ज, एक फोरमैन, 40 परिचालक व 31 चालक थे। पांच-पांच बुकिंग क्लर्क का रामनगर व काशीपुर डिपो ट्रांसफर किया जाएगा, जबकि अन्य स्टाफ को काठगोदाम डिपो में ड्यूटी करनी होगी। इस डिपो के एआरएम का चार्ज संभाल रहे मनोज दुर्गापाल के पास तीन जिम्मेदारियां थीं। नगरपालिका ने मना कर दिया था

कई राज्यों में जेएनएनयूआरएम की बसों का संचालन नगरपालिका करती है। रोडवेज अफसरों के मुताबिक, दस साल पहले हल्द्वानी नगरपालिका ने इनकी जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया था, क्योंकि उसके पास तकनीकी स्टाफ नहीं था, जिसके बाद रोडवेज को ये बसें दी गई थीं। मुख्यालय के आदेश पर जेएनएनयूआरएम काठगोदाम का अस्तित्व खत्म कर दिया गया है। यहां तैनात स्टाफ का काठगोदाम डिपो में ट्रांसफर किया जाएगा।

-यशपाल सिंह, आरएम संचालन रोडवेज


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