नलकूपों का मरम्मत मरम्मत कराने के लिए बजट ही नहीं, कैसे लगे स्टेबलाइजर ?
सिंचाई विभाग के नलकूपों के खराब होने का सिलसिला लगातार जारी है। अफसर नलकूपों की मोटर फुंकने के पीछे बिजली का काफी उतार-चढ़ाव कारण मान रहे हैं। ऊर्जा निगम ने सिंचाई विभाग के अफसरों से नलकूपों में स्टेबलाइजर लगाने के लिए कहा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : सिंचाई विभाग के नलकूपों के खराब होने का सिलसिला लगातार जारी है। अफसर नलकूपों की मोटर फुंकने के पीछे बिजली का काफी उतार-चढ़ाव कारण मान रहे हैं। ऊर्जा निगम ने सिंचाई विभाग के अफसरों से नलकूपों में स्टेबलाइजर लगाने के लिए कहा है। सिंचाई विभाग के अफसरों का रोना है कि उनके पास मोटर मरम्मत तक के लिए पर्याप्त बजट नहीं है, ऐसे में स्टेबलाइजर कैसे लगाए जाएं।
हल्द्वानी की आधी आबादी नलकूपों पर निर्भर
हल्द्वानी की पांच लाख आबादी में से आधी गौला और आधी नलकूपों पर निर्भर है। जलसंस्थान को गौला नदी से 30 एमएलडी और नलकूपों से 35 एमएलडी पानी मिलता है। जलसंस्थान के 67 नलकूपों के अलावा सिंचाई विभाग के 191 नलकूपों से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। वहीं सिंचाई विभाग के नलकूप लगातार तेजी से खराब हो रहे हैं।
नलकूप फुंका तो कम से कम 15 दिन तक नल सूखे
नलकूप खराब हुए तो उससे जुड़े क्षेत्रों में कम से कम 15 दिन तक जलसंकट गहराया रहता है। सिंचाई विभाग के अफसरों का कहना है कि बिजली के करंट में काफी उतार-चढ़ाव रहने से मोटर फुंक जाती है। ऊर्जा निगम कहता है कि मोटर को समानांतर बिजली उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई विभाग से कई बार नलकूपों पर स्टेबलाजर लगाने के लिए कहा जा चुका है।
विभाग ठेकेदार का बकाया तक नहीं चुका पा रहा
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एनके पंत बताते हैं कि महकमे को एक साल में डेढ़ करोड़ रुपये मरम्मत कार्यों के लिए मिलता है। नलकूप की मोटर मरम्मत में एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है। नलकूप मरम्मत करने वाले ठेकेदार का भी काफी बकाया हो चुका है। बजट के अभाव में विभाग ठेकेदार का बकाया तक नहीं चुका जा पा रहा है। ऐसे में करीब चार लाख रुपये कीमत के स्टेबलाइजर नहीं खरीद पा रहे हैं।