International Women's Day 2022 : हल्द्वानी में संघर्ष के दम पर महिलाओं ने बनाई स्वरोजगार की ऋृंखला
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हल्द्वानी के कुछ ऐसी महिलाओं की कहानी जानिए जिन्होंने ने खुद के दम पर स्वरोजगार की ऋृंखला की श्रृंखला बनाई। अब वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो गई है और दूसरों को भी प्रेरणा दे रही हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड में स्वरोजगार की ऋृंखला खड़ी करने में महिलाओं का बड़ा योगदान है। स्वयं सहायता समूहों के संचालन में भले तमाम संघर्षों का सामना करना पड़ा। लेकिन बेहतर परिणाम आने की वजह से महिलाएं आर्थिक तौर पर मुकाम भी हासिल कर रही है। हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली कई महिलाएं ऐसी है जिन्होंने सालों पहले जब समूह की शुरूआत की तो कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। मगर हिम्मत नहीं हारी। आज खुद के साथ-साथ इन्होंने सैकड़ों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना दिया है। अपने उत्पादों का बाजार महिलाओं ने खुद तैयार किया। वहीं, सफलता मिलने पर संघर्ष के इस दायरे को और बढ़ा गया। प्रशिक्षण शिविरों को जरिये स्वरोजगार की इस श्रृंखला को अब पहाड़ पर भी पहुंचाया जा रहा है।
15-16 हजार रुपये तक कमाई
अध्यक्ष श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था पुष्पा कांडपाल ने बताया कि समूह से महिलाओं का बड़ा हिस्सा ऐसा है जो कि प्रति माह 15-16 हजार रुपये तक कमा लेते हैं। इच्छुक महिलाओं के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की जाती है। आर्थिक तौर पर कमजोर महिलाओं से प्रशिक्षण सामग्री के पैसे भी नहीं लेते। निरंतर प्रयास कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। महिलाएं अब स्वत: जागरूक होने लगी है।
शुरुआत में आई परेशानी
अध्यक्ष एकता स्वयं सहायता समूह की पुष्पा पढालनी का कहना है कि पहाड़ी दाल, कपड़े के बैग से लेकर अन्य उत्पाद समूह से जुड़ी महिलाएं तैयार करती हैं। समूहों के गठन और संचालन में पहले काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। मगर अब स्थितियां बदली रही है। महिलाएं खुद आत्मनिर्भर होना चाहती है। समूह के कामों को देश की 75 आत्मनिर्भर महिलाओं की पत्रिका में भी जगह मिली थी।
आर्थिक निर्भरता जरूरी
अध्यक्ष प्रयास स्वयं सहायता समूह हेमा डंगवाल का कहना है कि बाल सुधार गृह से लेकर नारी निकतेन की संवासनियों को भी प्रशिक्षण देती हूं। ताकि वह बाहर निकलने पर उनकी जिदंगी में सकारात्मक बदलाव आए। महिलाएं सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूत होना चाहती है। कई बार प्रशिक्षण का खर्चा भी खुद उठाना पड़ता है। धूप, अगरबत्ती, दाल, तेजपत्ता समेत अन्य उत्पाद समूह तैयार करता है।