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हिमालय को लेकर नए शोध में खुलासा, इंडियन व एशियन प्लेट एक बार नहीं दो बार टकराई थी

अब तक कहा जाता है कि इंडियन व एशियन प्लेट की एक ही बार टक्कर हुई थी जिससे हिमालय का उद्भव हुआ था मगर अब नए शोध में दावा किया गया है कि पहले भी टक्कर से डेढ़-दो हजार किमी चौड़ाई का भूखंड तिब्बत के नीचे समा गया था।

By Edited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 05:30 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:23 AM (IST)
हिमालय को लेकर नए शोध में खुलासा, इंडियन व एशियन प्लेट एक बार नहीं दो बार टकराई थी

नैनीताल, किशोर जोशी : हिमालय को लेकर हुए ताजा शोध में नए दावे किए गए हैं। अब तक कहा जाता है कि पांच-साढ़े पांच करोड़ साल पहले इंडियन व एशियन प्लेट की एक ही बार टक्कर हुई थी, जिससे हिमालय का उद्भव हुआ था, मगर अब नए शोध में दावा किया गया है कि चार करोड़ साल पहले भी इंडियन व एशियन प्लेट की टक्कर से डेढ़-दो हजार किमी चौड़ाई का भूखंड तिब्बत के नीचे समा गया था, जिसकी वजह से काराकोरम पर्वतमालाएं बनीं।

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अब तक इस विशाल भूखंड का उद्भव रहस्य बना हुआ था। वैज्ञानिक इसकी स्थिति का अनुमान नहीं लगा पा रहे थे। कुमाऊं विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव उपाध्याय ने यह दावा किया है। वह अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, पुरदवे विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया के सहयोगियों के साथ मिलकर दस साल से लद्दाख व काराकोरम क्षेत्र में शोध कर रहे थे। इस अध्ययन की रिपोर्ट जर्नल नेशनल एकेडमी आफ साइंस अमेरिका में प्रकाशित हुई है।

बना था इंडिया-लद्दाख-कोहिस्तान भूखंड

प्रो. उपाध्याय के अनुसार, भू वैज्ञानिक, भू भौतिकी व भू रासायनिकी तकनीकों का उपयोग कर 66 से 60 मिलियन वर्ष पुरानी ज्वालामुखी चट्टानों के पुरा भूचुबकत्व के अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है। जिस समय लद्दाख-कोहिस्तान की पहाडि़यों का उद्भव हो रहा था, उस समय उसकी स्थिति विषुवत रेखा से पांच डिग्री उत्तर में थी, जो आज के परिप्रेक्ष्य में करीब 40 डिग्री उत्तर में है। यूरेनियम लेड व आर्गन तकनीक के उपयोग से इन चट्टानों की आयु का निर्धारण किया गया। शोध में यह भी दावा किया गया है कि उस समय जगह-जगह ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे, जिससे डायनासोर का अस्तित्व मिट गया था। ये चट्टानें उसी भूवैज्ञानिक काल की हैं।

क्षिरोदा प्लेट की हुई खोज

प्रो. उपाध्याय कहते हैं कि इस शोध के जरिए हिमालय के उद्भव एवं विकास के लिए नया भू वैज्ञानिक माडल प्रदर्शित किया गया है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। यह टक्कर दो अलग-अलग क्षेत्रों में हुई थी। इसी क्रम में अन्य क्षेत्रों में भी उच्चस्तरीय शोध कार्य किया जा रहा है, जिसके परिणाम शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। इस नए माडल में करीब डेढ़-दो हजार किलोमीटर चौड़ाई के एक नए भूखंड को चिह्नित किया गया है, जिसका नाम क्षिरोदा प्लेट रखा गया है। लद्दाख और एशियन प्लेट के बीच में यह प्लेट स्थित थी, जिसका अस्तित्व पूर्ण रूप समाप्त हो गया है। इसी वजह से काराकोरम की पर्वत मालाओं का उद्भव हुआ।


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