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आजादी के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ स्वराज आश्रम को इंदिरा ने फिर से संवारा था

नेता प्रतिपक्ष के पिता स्व. पंडित टीका राम पाठक स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई आंदोलनों का हिस्सा रहे थे। डांडी यात्रा के दौरान वह गंभीर रूप से घायल भी हुए। उनकी संघर्षशीलता की वजह से 1930 में संयुक्त प्रांत कांग्रेस कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 08:11 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 08:11 AM (IST)
आजादी के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ स्वराज आश्रम को इंदिरा ने फिर से संवारा था
स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ स्वराज आश्रम को इंदिरा ने फिर से संवारा था

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : नेता प्रतिपक्ष के पिता स्व. पंडित टीका राम पाठक स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई आंदोलनों का हिस्सा रहे थे। महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई डांडी यात्रा के दौरान वह गंभीर रूप से घायल भी हुए। उनकी संघर्षशीलता की वजह से 1930 में संयुक्त प्रांत कांग्रेस कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया था। वहीं, एक स्वंतत्रता सेनानी की बेटी ने जब उत्तराखंड की सियासत में एक मुकाम हासिल किया तो आजादी के इतिहास से जुड़े स्वराज आश्रम को बखूबी संवारा। वर्तमान में कुमाऊं कांग्रेस का मुख्यालय इसी में है।

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मटरगली के पास स्थित स्वराज आश्रम में कुमाऊं के स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों से लड़ाई की रणनीति बनाया करते थे। भारत रत्न व पूर्व सीएम पं. गोविंद बल्लभ पंत समेत अन्य कई विद्रोही यहां से गिरफ्तार किए गए। पास में बने कच्चे आवासों में बाबा बिशन गिरी, दलीप सिंह, शिवनारायण नेगी, बाबूराम कप्तान जैसे क्रांतिकारियों का ठिकाना हुआ करता था। अब्दुल मजीद, मथुरा दत्त पहलवान, पीतांबर सनवाल, धन सिंह नेगी, बालकृष्ण आजाद, हीरा बल्लभ बेलवाल, मदन मोहन उपाध्याय, श्रीराम शर्मा, खुशी राम, भागीरथी देवी, रेवती देवी जैसे बड़े नाम इससे जुड़े थे।

वहीं, अंग्रेज जानते थे कि ब्रिटिश हकूमत की नाक में दम करने वाले जोगा सिंह तोलिया, नंदन सिंह, गोविंद राम शर्मा, शंकर लाल हलवाई, शंकर लाल अग्रवाल आदि का कनेक्शन भी स्वराज आश्रम से जुड़ा है। इसलिए 24 घंटे मुखबिरों की यहां निगरानी रहती थी। हालांकि, समय के साथ स्वराज आश्रम की स्थिति खराब होने लगी। साल 2005 में प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहते हुए डा. इंदिरा हृदयेश ने इसका जीर्णोद्वार करवाया। तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने 25 नवंबर 2005 को भवन का लोकार्पण किया था।

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