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मैदान से उच्‍च हिमालय तक पहुंचना होगा आसान, भारत जल्‍द बनाएगा चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क

भारत-चीन सीमा लिपूलेख तक चीन ने डबल लेन सड़क तैयार कर ली है। अब भारत भी लिपूलेख तक अच्छी सड़क जल्द तैयार कर लेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 12:49 PM (IST)
मैदान से उच्‍च हिमालय तक पहुंचना होगा आसान, भारत जल्‍द बनाएगा चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क
मैदान से उच्‍च हिमालय तक पहुंचना होगा आसान, भारत जल्‍द बनाएगा चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क

पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत-चीन सीमा लिपूलेख तक चीन ने डबल लेन सड़क तैयार कर ली है। अब भारत भी लिपूलेख तक अच्छी सड़क जल्द तैयार कर लेगा। अस्कोट से लिपूलेख तक भारतमाला योजना के तहत सड़क बनने जा रही है। टनकपुर से पिथौरागढ़ होते अस्कोट तक ऑलवेदर रोड और अस्कोट से लिपूलेख तक भारतमाला योजना के तहत सड़क बनते ही चीन सीमा तक पहुंचना सहज हो जाएगा। साथ ही  कुमाऊं के मैदानी इलाकों से ग्लेशियरों की दूरी भी घट जाएगी।

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वर्तमान में चम्पावत जिले के टनकपुर से पिथौरागढ़ तक ऑलवेदर सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण पूरा होते ही टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच 150 किमी का सफर तीन से साढ़े तीन घंटे में तय हो जाएगा। ऑलवेदर सड़क का निर्माण पिथौरागढ़ से 53 किमी दूर अस्कोट तक होना है। यह कार्य बीआरओ के संचालन में हो रहा है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग होने के कारण अस्कोट से चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क निर्माण भारतमाला योजना में स्वीकृत है। वर्तमान में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पिथौरागढ़ से अस्कोट के बीच और अस्कोट से तवाघाट होते हुए गर्बाधार तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य कर रहा है।

गर्बाधार से चीन सीमा लिपूलेख तक बीआरओ द्वारा सड़क निर्माणाधीन है। इस मार्ग में नजंग से मालपा होते हुए बूंदी तक सड़क बनी है। बीआरओ ने वर्ष 2020 तक इस सड़क को पूरा करने का दावा किया है। सड़क के भारतमाला योजना में भी स्वीकृति मिलने से पर्यटन को तो पंख लगेंगे ही साथ में सीमा छोर पर बड़ी समस्या बने पलायन पर भी रोक लगेगी।

हल्द्वानी व टनकपुर से एक दिन में पहुंचा जा सकेगा उच्च हिमालय

ऑलवेदर और भारतमाला के तहत सड़क निर्माण होते ही मैदानी क्षेत्र यानी टनकपुर और हल्द्वानी से सीमा के छोर तक पहुंचना आसान हो जाएगा। अच्छी सड़क होने पर टनकपुर और हल्द्वानी से सुबह चलने पर सायं तक उच्च हिमालय तक पहुंचा जा सकेगा। इसी के साथ सामरिक दृष्टि से यह मार्ग बेहद महत्वूपर्ण होगा। उच्च हिमालय में पर्यटन को पंख लगेंगे। ग्लेशियर और बुग्यालों तक पर्यटकों की पहुंच सुगम हो सकेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अच्छी सड़क बन जाए तो सीमांत का उच्च हिमालयी क्षेत्र कश्मीर और लद्दाख की तरह पर्यटकों की पहली पसंद बनेगा।

भारतमाला सड़कों का जौलजीवी में मिलान 

अजय टम्टा, सांसद अल्मोड़ा ने बताया कि बागेश्वर से कपकोट-मुनस्यारी, मदकोट से जौलजीवी तक और अस्कोट से धारचूला-तवाघाट-लिपूलेख तक भारतमाला योजना के तहत सड़कों की स्वीकृति पिथौरागढ़ सहित संसदीय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। दोनों भारतमाला सड़कों का जौलजीवी में मिलान होगा। यह पूरा सर्किल पर्यटन के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि होगी। केंद्र ने क्षेत्र को समझते हुए ये उपहार दिए हैं।


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