Independence Day 2022 : मंदिरों की घंटियों, शंख ध्वनियों से अल्मोड़ा में हुआ था आजादी का शंखनाद
Independence Day 2022 15 अगस्त 1947 के दिन अल्मोड़ा में लाेगों को शंख ध्वनियों से पता चला की देश आजाद हो गया है। बाजार सजाए गए दिवाली मनाई गई। नंदा देवी परिसर व परेड ग्राउंड में राष्ट्रध्वज फहराया गया।
चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : Independence Day 2022 : 15 अगस्त 1947 देश की आजादी का दिन जो कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश से हजारों सपूतों ने अपना बलिदान देकर ब्रिटिश हुकूमत के मकड़जाल से देश को स्वतंत्र कराया। कम ही लोग जानते है कि 15 अगस्त 1947 के दिन आखिर अल्मोड़ा में क्या हुआ, कैसा माहौल था।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपने लेखन से राष्ट्रीय चेतना जगाने वाले अखबार में उस दिन की पल-पल की घटना का विस्तृत वर्णन किया है। अल्मोड़ा में लाेगों को शंख ध्वनियों से पता चला की देश आजाद हो गया है। बाजार सजाए गए, दिवाली मनाई गई। नंदा देवी परिसर व परेड ग्राउंड में राष्ट्रध्वज फहराया गया। हर घर में तिरंगा लहराया गया। ढोल नगाड़ों के साथ 14 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजकर एक मिनट से कार्यक्रम शुरु हो गए थे।
अल्मोड़ा नगर में स्वतंत्रता दिवस की रात
- अल्मोड़ा नगर के सभी अधिकारी वर्ग, नगर कांग्रेस कमेटी, प्रतिष्ठित जन, संस्थाओं के प्रधान व व्यापारी वर्ग स्वतंत्रता को मनाने की तैयारी में व्यस्त थे।
- 14 तारीख की रात 12 बजकर एक मिनट पर सारे बाजार में शंख ध्वनि की गई। गिरिजाघर में घंटी बजी। तब शहरवासियों ने जाना की अब वह स्वतंत्र हैं।
- बाजार वंदनवारों से खूब सजा था। दुकानें बड़े कलापूर्ण तरीके से सजाई गई थीं। स्थान-स्थान पर द्वार बने थे। अस्पताल के पास एक रमणक द्वार अज्ञात शहीदों की स्मृति में तथा एक स्व. मोहन जोशी की स्मृति में बना था।
- लाला बाजार में एक द्वार पर बड़े अक्षरों में लिखा था- विद्रोही लाला- बाजार राजभक्त के रूप में आपका स्वागत करता है। अब चलिए हम आपको ऊपर बाजार की ओर ले जाते हैं।
- टेढ़ी बाजार की द्वारों पर गांधी, जवाहर की तारीफ में शेर लिखे गए थे। जौहरी मोहल्ले में एक द्वार चरखा द्वार था। जो बहुत ही कलापूर्ण था। गंगोला मोहल्ले सजाए द्वार भी काफी मनोरम थे।
नंदा देवी व परेड ग्राउंड में फहराए गया राष्ट्रध्वज
15 अगस्त की सुबह नगर कांग्रेस कमेटी के सभी सदस्य सफेद कुर्ता, चूड़ीदार पैजामा व सफेद गांधी टोपी पहने ठीक छह बजे नंदा देवी से गीत गाते हुए बाजारों बाजार परेड ग्राउंड पहुंचे। वहां सभी स्कूलों के स्काउट अपने नायकों के साथ एक पोशाक में पहुंचे थे। आजाद हिंद फौज के भी कुछ सैनिक वहां मौजूद थे।
पुलिस की एक हथियारबंद टुकड़ी भी वहां मौजूद थी। वहां का अनुशासन तथा जनसमूह अभूतपूर्व था। सात बजने से पूर्व पंडितजी, मौलवी व पादरी साहब ने धार्मिक पाठ किया। इसके बाद जिलाधीश गुप्ता ने हजारों नर नारियों के समक्ष ठीक सात बजे शंख ध्वनि के साथ झंडा फहराया। इसके बाद प्रधानमंत्री का संदेश हिंदी में पढ़ा। इसके बाद गंगा सिंह ने झंडा प्रार्थना गान गाया।
जय हिंद के गगनभेदी नारों के साथ प्रात: का कार्यक्रम संपन्न हुआ। ठीक सुबह 10 बजे अल्मोड़ा कचहरी में 63 शंखों की ध्वनि, नगाड़ों की गड़गड़ाहट, ढोलों की आवाज तथा जय हिंद के साथ घर-घर राष्ट्रीय पताकाएं फहराई गईं। उसी समय नंदा देवी के मैदान में भी 63 फुट ऊंचे स्तंभ पर द्वारिका प्रसाद ने झंडा फहराया। फिर झंडा प्रार्थना हुई। इस प्रकार प्रात:काल कार्यक्रम समाप्त हुआ।
बिशनी देवी के नेतृत्व में निकला जुलूस
दिन में मूसलाधार बारिश के होते हुए भी दोपहर तीन बजे नंदा देवी मैदान से हजारों आदमियों का जुलूस बिशनी देवी के नेतृत्व में निकला। देवी जी राष्ट्रीय पताका लिए हुए थे। आपकी रक्षा के लिए हथियारबंद पुलिस आपको घेरे हुए थी। जुलूस एक मिल से ज्यादा लंबा था। हजारों नर नारियां शामिल थीं। जुलूस चार बजे परेड ग्राउंड पहुंचा। वहां कीचड़ था। लोगों के बैठने की ठीक बैठने की व्यवस्था ना होने पर भी लोग वहां डटे रहे।
ठीक 6 बजे शाम सभा का कार्यक्रम शुरू हुआ। सर्वप्रथम वंदेमातरम गान हुआ। इसके बाद सभापति द्वारिका प्रसाद ने प्रतिज्ञा पत्र पढ़ा। उपस्थित जन समूह ने मन ही मन दोहराया। बाद में कविता पाठ तथा संगीत हुआ। अहमदउल्ला, देवीदत्त पंत, प्यारे लाल गुप्ता, हरीश चंद्र जोशी के समयानुकूल व्याख्यानों के बाद सभा शाम सात बजे समाप्त हुई।
रात को ठीक सात बजे नगर के हर घर व हर झोपड़ी व हर सरकारी व गैरसरकारी इमारत में दिवाली जली। इधर-उधर के गांवों में दीप मालिकाएं जगमगा रही थी। रात को नौ बजे रैमजे हाल में शिव प्रसाद पांडे के माध्यम से सशुल्क सहभोज हुआ। जिसका प्रबंध मैसर्स जगाती रैस्तरा, इलाहबाद, नैनीताल ने किया।
मैसर्स वानप्रस्थ रैस्तरा ने 15 व 16 अगस्त की चाय आधी कीमत में बेची। कुंदन लाल, मथुरा साह ने 600 धोतियां इस खुशी में वितरित की। स्कूल में सभी विद्यार्थियों को मिठाई मिली। 16 अगस्त को खेलकूद हुए। शाम को पुरस्कार वितरण किया गया। अल्मोड़ा कालेज ने सबसे अधिक पारितोषिक प्राप्त किए।
साभार:- शक्ति राष्ट्रीय साप्ताहिक, अंक 19 अगस्त 1947, संपादक पूरन चंद्र तिवाड़ी