धरती को झुलसा रही कार्बन डाइआक्साइड गैस, चिंता में पड़े वैज्ञानिक
अगर कार्बन डाइऑक्साइड गैस इसी तेजी के साथ बढ़ती रही तो इससे एक्स्ट्रीम वेदर को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लगातार सूखा, वर्षा या गर्मी जैसी आपदाओं का प्रकोप बढ़ेगा।
नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: भले ही सूर्यदेव इन दिनों कर्क रेखा के ऊपर से सीधी किरणें बिखेर कर गर्मी का कहर बरपा रहे हों, लेकिन धरती पर तेजी से बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा पारे को नीचे से आंच दे रही है। पिछले सौ साल के अंतराल में धरती में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 40 फीसद बढ़ गई है। वहीं हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों समेत उत्तर भारत में प्रति वर्ष 2.5 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) की दर से वृद्धि हो रही है।
इन दिनों मैदान तप रहे हैं तो ठंडे में रहने वाले पर्वतीय क्षेत्र भी बढ़ते पारे के चपेट से अछूते नहीं रह गए हैं। पारा हर जगह नए रिकॉर्ड बना रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ती गर्मी का एक बड़ा कारण कार्बन डाइऑक्साइड है, जो पूरे धरती में तेजी से पैर पसार रहा है। नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 में हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र समेत उत्तर भारत में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 380 पार्ट पर मिलियन थी, जो दस साल के अंतराल में बढ़कर 405 पार्ट पर मिलियन जा पहुंची है।
यानी प्रति वर्ष 2.5 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) की दर से बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ोतरी की यह दर 2006 से पहले सिर्फ 1.8 पीपीएम थी। लगभग दोगुनी वृद्धि की यह दर पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। इसने वैज्ञानिकों को गंभीर चिंता में डाल में दिया है।
सूखा, वर्षा, गर्मी जैसी आपदा को बढ़ावा देगी सीओटू
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा के अनुसार वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एरीज के वैज्ञानिक निरंतर नजर रखे हैं। वातावरण में तेजी से बढ़ते कार्बन डाइआक्साइड गैस की मात्रा बेहद चिंताजनक है। इससे एक्स्ट्रीम वेदर को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लगातार सूखा, वर्षा या गर्मी जैसी आपदाओं का प्रकोप बढ़ेगा।
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