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सोना दिखा रहा तेवर, हल्के हुए जेवर

सहालग का सीजन चल रहा है। खरीदारी जोरों पर है। विवाह के अन्य खर्चो के साथ ही जेवर बनवाना लोगों को सबसे ज्यादा टेंशन दे रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 04:57 PM (IST)
सोना दिखा रहा तेवर, हल्के हुए जेवर
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: सहालग का सीजन चल रहा है। खरीदारी जोरों पर है। विवाह के अन्य खर्चो के साथ ही जेवर बनवाना लोगों को सबसे ज्यादा टेंशन दे रहा है। ऐसे में कम बजट में लोग आकार में बड़े और वजन में हल्के आभूषण बनवा रहे हैं। कटौती दोनों तरफ से की जा रही है। दूल्हे की जो अंगूठी पहले छह ग्राम सोने से बनती थी, वह अब तीन ग्राम की बनवाई जा रही है। जबकि दुल्हन की नथ का वजन भी 18 ग्राम से घटकर 15 ग्राम हो गया है। सहालग के सीजन में सराफा बाजार में कम वजन वाले आभूषणों की मांग बढ़ी है। ज्यादातर लोग वजन में हल्के और आकार में बड़े साइज के जेवर की मांग कर रहे हैं। दो साल पहले दुल्हन के संपूर्ण आभूषणों का जो सेट ढाई से तीन लाख में तैयार कराया जाता था, उसे अब केवल डेढ से दो लाख में तैयार करवाया जा रहा है। सेट में दुल्हन की नथ, मांगटीका, कान के झुमके, पौंची शामिल है। सराफा व्यापारियों की मानें तो सोने के भाव पिछले काफी समय से स्थिर बने हैं। जिससे लोग सोने में निवेश करने से भी कतरा रहे हैं। आभूषणों पर भी इसका असर नजर आने लगा है। दो साल पहले तक ग्राहक एक तोला सोने से नथ तैयार करने का ऑर्डर देते थे, लेकिन अब ज्यादातर लोग आठ ग्राम से ही काम चला रहे हैं। ====== तीन ग्राम में तैयार हो रही अंगूठी दूल्हे के लिए पहले लोग छह ग्राम सोने की अंगूठी बनवाते थे, लेकिन अब ज्यादातर ग्राहक तीन ग्राम सोने की अंगूठी बनवाने का ऑर्डर दे रहे हैं। पहले जो अंगूठी 19 हजार रुपये में तैयार होती थी, वह अब दस हजार में ही बनवाई जा रही है। लोगों की मांग होती है कि डेढ़ से दो लाख के बजट में सभी जेवर तैयार हो जाएं। ============ सराफा बाजार में पिछले दस सालों में सोने-चांदी की कीमत वर्ष= सोना दस ग्राम =चांदी प्रतिकिलो 2008 11,870 22,800 2009 15,000 21,800 2010 18,380 29,500 2011 22000 53200 2012 29210 56,300 2013 27,400 45,650 2014 30,100 42,200 2015 27,100 36,575 2016 29,950 40,400 2017 29,500 40,400 2018 32,000 40,000 नोट: सोना प्रति दस ग्राम व चांदी की कीमत प्रतिकिलो रुपये में। ========== ग्राहकों की मांग के अनुसार बाजार में कम वजन वाले जेवरों का चलन बढ़ रहा है। व्यापारी भी अब बाजार और ग्राहकों की मांग के अनुरूप साइज में बड़े और वजन में हल्के जेवर तैयार कर रहे हैं। -सतीश भोला, सराफा व्यापारी

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