kumaun university में डिग्री व मार्कशीट फर्जीवाड़ा मामले में अधूरी एफआइआर बनी जांच में रोड़ा
कुमाऊं विवि में डिग्रियों व मार्कशीट के फर्जीवाड़े में लगभग दस महीने बाद भी कोई आरोपित गिरफ्तार नहीं हो सका है।
नैनीताल, श्याम मिश्रा : कुमाऊं विवि में डिग्रियों व मार्कशीट के फर्जीवाड़े में लगभग दस महीने बाद भी कोई आरोपित गिरफ्तार नहीं हो सका है। विवि अधिकारियों द्वारा अधूरी एफआइआर दर्ज कराने को इसकी वजह माना जा रहा है। एफआइआर में सिर्फ आरोपितों के नाम हैं, उनके पिता व पते का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने ईमेल आइडी के जरिये दो छात्र रोहित व विक्की शम्शी का नाम ट्रेस किया है, हालांकि पुलिस इन तक पहुंच नहीं पाई है। जालसाजों के तार यूपी के गाजियाबाद, मेरठ और दिल्ली एनसीआर से जुड़े बताए जा रहे हैं।
दिसंबर 2018 में कुमाऊंविवि के पास कनाडा और ब्रिटिश उच्चायोग के अलावा दिल्ली, मुंबई व कुछ अन्य जगहों से 23 मार्कशीट व डिग्रियां सत्यापन के लिए आई थीं। इन फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग कनाडा, जर्मनी, दिल्ली, महाराष्टï्र में सरकारी व गैर सरकारी नौकरी का लाभ लेने के लिए किया गया था। नियुक्ति से पहले दस्तावेजों की जांच हुई तो इस अंतरराष्ट्रीय फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हो गया। एक साथ 23 मार्कशीट व डिग्रियों के फर्जी होने का खुलासा हो गया। इससे विवि प्रशासन भी हैरत में पड़ गया। लंबे समय तक विवि ने अपने स्तर से जांच की तो पता चला कि कोई बहुत बड़ा रैकेट है, जो इस तरह का फर्जीबाड़ा कर रेवड़ी की तरह घर बैठे फर्जी डिग्री व मार्कशीट बांट रहा है। जो डिग्रियां व मार्कशीट पकड़ी गईं, उनमें एमबीए, बीटेक, एमटेक और बीएड तक की डिग्रियां शामिल हैं। जनवरी 2019 में मल्लीताल कोतवाली में 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। पहले विवेचना एसआइ आशा बिष्ट कर रहीं थीं, लेकिन बाद में एसएसपी ने विवेचना इंस्पेक्टर मल्लीताल अशोक कुमार सिंह को सौंप दी। अब विवेचक ने ईमेल आइडी के आधार पर दो अन्य छात्रों के नाम व पते ट्रेस किए हैं। हालांकि प्रकरण में एसआईटी जांच की भी जरूरत बताई जा रही है।
पुलिस को पहली कड़ी का इंतजार
प्रकरण में पुलिस को पहली कड़ी का इंतजार है। उसका मानना है कि मार्कशीट या डिग्री बनवाने वाला सिर्फ एक व्यक्ति गिरफ्त में आ जाए तो पूरा जाल खुद ही उधड़ जाएगा। पुलिस ने मार्च में एक छात्रा का असली नाम व पता ट्रेस कर लिया था, लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी वह नहीं मिल रही है। माना जा रहा है कि फर्जीवाड़े की भनक लगते ही उसने निवास स्थान बदल दिया है।
दर्ज एफआइआर में नहीं है पूरी जानकारी
अशोक कुमार सिंह, विवेचक व इंस्पेक्टर मल्लीताल थाना ने बताया कि यह सच है कि कुमाऊं विवि की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में पूरी जानकारी नहीं है। फिर भी पुलिस आरोपितों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दो अन्य छात्रों को ईमेल के जरिये ट्रेस कर लिया गया है।