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पिथौरागढ़ में दुष्कर्मी भाई को फांसी की सजा, पांच वर्षीय सौतेली बहन से छह माह से कर रहा था दुष्कर्म

32 वर्षीय जनक बहादुर विगत छह माह से अपनी सौतेली बहन के साथ दुष्कर्म कर रहा था और उसे मारता पीटता भी था। इस मामले की कुछ लोगोंं ने जाजरदेवल थाने में सूचना दी। पुलिस इस मामले में सक्रिय हो गई और आरोपी को गिरफ्तार किया गया।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 05:38 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 05:38 PM (IST)
न्यायालय ने पीडिता के भरण पोषण व भविष्य के लिए सात लाख रुपए देने के आदेश दिए।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : जिला फॉस्ट ट्रेक कोर्ट ने पांच वर्षीय बालिका के साथ छह माह तक दुष्कर्म करने वाले सौतेले बड़े भाई को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले अत्यधिक घृणित बताया है। वही पीडि़ता को सात लाख रुपये का प्रतिकर देने के आदेश दिए हैं।

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मामला अप्रैल 2021 का है। नेपाली मूल का जनक बहादुर अपने दो नाबालिग बच्चों और पांच वर्ष की सौतेली बहन के साथ जाजरदेवल थाना क्षेत्र के अंतर्गत रहता था। 32 वर्षीय जनक बहादुर अपनी सौतेली बहन को मारता पीटता था। इस मामले की कुछ लोगोंं ने जाजरदेवल थाने में सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया दो नाबालिग बच्चों और पीडि़ता को अपने संरक्षण में लिया।

ऐसे खुला मामला

दरअसल, क्षेत्र में उक्त परिवार के किसी नाते, रिश्तेदार के नहीं होने के कारण कोई भी इन बच्चों को संरक्षण में लेने वाला नहीं था। पुलिस ने 4 अप्रैल 2021 को बच्ची को एक संस्था के संरक्षण में दे दिया। बाद में पीडि़त बच्ची ने संस्था के सदस्यों को अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया। उसने बताया कि उसके माता, पिता का निधन हो गया है। वह अपने सौतेले भाई जनक बहादुर के साथ रहती है। जनक बहादुर विगत छह माह से उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है । उसके शरीर में चोट के निशान भी थे। बाद में चिकित्सकीय परीक्षण किया गया तो बालिका के शरीर में कई गंभीर घाव मिले। 

मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो, भादवि धारा 376, 323 सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय पॉक्सो में चली। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और विशेष लोक अभियोजन प्रेम सिंह भंडारी ने पैरवी करते हुए संबंधित गवाहों को पेश किया। दोनों पक्षों और गवाहानों को सुनते हुए विशेष न्यायाधीश पॉक्सो डा. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने जनक बहादुर को दोषी करार देते हुए शुक्रवार को उसे फांसी की सजा सुनाई। न्यायाधीश डा. शर्मा ने इसे अति घृणित कृत्य बताया। उन्होंने कहा कि सौतेला भाई  जिस तरह के कृत्य कर रहा था वह क्षम्य नहीं है। न्यायालय ने पीडिता के भरण पोषण व भविष्य के लिए सात लाख रुपए की धनराशि प्रतिकर के रूप में देने के आदेश दिए।

दुष्कर्म के मामले में जिले की पहली फांसी

पिथौरागढ़ न्यायालय में पूर्व में भी एक महिला को फांसी की सजा हुई थी । उस मामले में महिला ने अपने दो नादान बच्चों को दराती से काट कर मार डाला था। दुष्कर्म मामले में जनक बहाुदर को फांसी की सजा दी गई है। यह मामला काफी लोमहर्षक है। एक बालिका जिसके दूध के दांत भी नहीं टूटे थे वह छह माह तक 32 वर्षीय सौतेले बड़े भाई की हवस का शिकार बनती रही। जिसके संरक्षण में रह रही थी वही उसका सारे रिश्ते नाते ताक पर रख  कर यौन शोषण कर रहा था। अभियुक्त का एक और बेटा है जो उसके साथ नहीं रहता था।


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