पहाड़ी क्षेत्रों में ओवरलोडिंग मामले में हार्इकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
पहाड़ी क्षेत्रों में ओवरलोडिंग के मामले में हार्इकोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रोंं में ट्रकों द्वारा ओवर लोडिंग करने के मामले में राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवार्इ 30 अक्टूबर को नियत की है।
दरअसल, हार्इकोर्ट में अधिवक्ता सुंदर सिंह मेहरा ने जनहित याचिका में अर्जेन्सी एप्लिकेशन दायर की थी। जिसमें कहा गया है कि अभी भी टनकपुर-चंपावत-पिथौरागढ़ मार्ग पर एफसीआइ भारी ओवर लोडेड ट्रक चला रहा है। याचिका में कहा गया कि पहाड़ी मार्ग अति संवेदनशील कच्ची पहाड़ियों से निर्मित है, जिसमें अधिकतर बने पुल वर्षों पुराने हैं और अति तीव्र व घुमावदार मोड़ हैं। जिसमे हमेशा जाम लगा रहता है और अधिक भार ले जाने वाले ट्रकों के कारण सड़क की सुरक्षा दीवार कमजोर पड़ रही है।
बारिश के दौरान इस मार्ग पर भूस्खलन भी होता है। इन सड़कों पर अधिकतम भार ले जाने की मानक क्षमता 90 कुंतल तक है, जबकि इनमें परिवहन विभाग के नियमों की अनदेखी कर 12 टायरा ट्रक चलाए जा रहे हं जो 200 कुंतल तक भार ढो रहे हैं। घाट से पिथौरागढ़ तक का मार्ग अति संकरा है, इसमें भी भारतीय खाद्य निगम ऐंचोली पिथौरागढ़ द्वारा अधिक भार ढोने वाले 12 टायरा ट्रक जिनकी भार ढोने की क्षमता 200 कुंतल है उनका प्रयोग किया जा रहा है। यह भी नियम के विरुद्ध और पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। उनका कहना है कि इससे इसी साल सेराघाट का पुल क्षतिग्रस्त हो गया। इसको रोकने के लिए देवभूमि ट्रक एशोसिएशन पिथौरागढ़ के अध्यक्ष शमशेर सिंह महर ने संभागीय परिवहन अधिकारी हल्द्वानी आयुक्त कुमाऊं को भी प्रत्यावेदन दिया। जिसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के नौ नवंबर 2005 के आदेश का हवाला देते हुए इसे रोकने की मांग की थी। जिसमें सर्वोच्च न्यायलय ने पर्वतीय मार्गों पर ओवर लोडिंग ले जाने पर प्रतिबंध लगाया था। इस आदेश का पालन कराने के लिए कुमाऊं आयुक्त से कहा था, लेकिन कोई पहल नहीं की गई।
वहीं मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ और न्यायधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
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