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Uttarakhand Chunav 2022 : चम्पावत सीट पर अपनों ने ही मुश्किल की भाजपा की राह, दिलचस्प होता जा रहा चुनाव

हालांकि पार्टी जिलाध्यक्ष दीप पाठक कार्यकर्ताओं में किसी भी प्रकार का असंतोष होने की बात से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव से पूर्व होने वाली यह स्वाभाविक प्रक्रिया है जो हर किसी पार्टी में होती है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 05:40 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:40 PM (IST)
बगावती सुर सामने आने के बाद भाजपा के बड़े नेताओं को डेमेज कंट्रोल में लगा दिया गया है।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : चम्पावत विधान सभा सीट पर टिकट वितरण से पहले ही भाजपा के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। पार्टी के कई वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों ने सीटिंग विधायक को टिकट दिए जाने पर खुला विद्रोह करने की चेतावनी दी है। मंगलवार को पार्टी के पदाधिकारियों ने प्रदेश नेतृत्व को पत्र भेजकर सीटिंग विधायक को टिकट मिलने की स्थिति में पदों से सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी देकर नेतृत्व के सामने नई मुश्किल पैदा कर दी है। बगावती सुर सामने आने के बाद भाजपा के बड़े नेताओं को डेमेज कंट्रोल में लगा दिया गया है। 

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वर्ष 2017 में चम्पावत सीट पर भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को करीब 17 हजार वोटों से पराजित कर इस सीट पर कब्जा किया था। भाजपा की ओर से इस बार भी गहतोड़ी भाजपा से प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। पार्टी ने सीटिंग विधायकों का टिकट न काटने के फार्मूले पर अमल किया तो गहतोड़ी को फिर से टिकट मिलना पक्का माना जा रहा है। इधर टिकट वितरण से पूर्व ही पार्टी के विभिन्न पदों के पदाधिकारियों ने सीटिंग विधायक का विरोध करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को विधायक से नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं ने बकायदा टनकपुर में बैठक कर अपने बगावती तेवरों को हवा भी दे दी। इस खबर के सामने आते ही पार्टी ने डेमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार बुधवार को भाजपा जिलाध्यक्ष दीप चंद्र पाठक और कुछ जिम्मेदार पदाधिकारियों ने नाराज कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश की। कार्यकर्ता सीटिंग विधायक का विरोध कर पार्टी के एक युवा नेता को मैदान में उतारने की मांग कर रहे हैं। हालांकि पार्टी जिलाध्यक्ष दीप पाठक कार्यकर्ताओं में किसी भी प्रकार का असंतोष होने की बात से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव से पूर्व होने वाली यह स्वाभाविक प्रक्रिया है जो हर किसी पार्टी में होती है। कहा कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी सभी कार्यकर्ता उसके समर्थन में एकजुटता के साथ कार्य करेंगे।

टिकट वितरण से पहले का ट्रेलर तो नहीं

राजनीति की समझ रखने वाले लोग इसे टिकट वितरण के पूर्व का ट्रेलर मान रहे हैं। उनका कहना है कि टिकट वितरण के बाद भाजपा में इस बार चम्पावत के साथ लोहाघाट विधान सभा सीट पर घमासान हो सकता है। दोनों सीटों पर सीटिंग विधायकों के अलावा कुछ ऐसे दावेदार हैं जो काफी लंबे समय से सरकार और संगठन के बीच सेतु का काम कर रहे थे। इन सबका अपना जनाधार भी है और समर्थक भी। किसी एक को टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी खुलकर सामने आ सकती है। लेकिन यह स्थिति केवल भाजपा में ही नहीं है। कांग्रेस में भी टिकट वितरण के बाद विरोध के स्वर काफी मुखर हो सकते हैं।

... तो कहीं 2012 वाली स्थिति न हो जाए

विधान सभा चुनाव में कुछ ऐसी ही स्थिति 2012 के विधान सभा चुनाव में देखने को मिली थी। दस वर्ष बाद फिर यही स्थिति सामने आ रही है। 2012 के चुनाव में भाजपा से हेमा जोशी को टिकट मिलने के बाद भाजपा के अंदर भीतरघात देखने को मिला था। जिसका नुकसान भाजपा को हुआ था। जिसका फायदा कांग्रेस व बसपा प्रत्याशी को मिला। भाजपा प्रत्याशी हेमा को 8610, बसपा के मदन महर को 13377 व कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 20330 वोट मिला और खर्कवाल दूसरी बार सत्ता में काबिज हुआ और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई। अगर भाजपा ने इस बार भीतरघात नहीं रोका तो 2012 की तरह भाजपा को नुकसान होगा और इसका फायदा तीसरे दल को मिलेगा।


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