स्ट्रेचर पर अस्पताल और कोमा में सिस्टम
हल्द्वानी में अस्तालों के हालात बेहद खराब हैं। आलम यह कि मेडिकल कॉलेज तक में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 01:58 PM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 10:55 AM (IST)
v style="text-align: justify;">हल्द्वानी, [गणेेश जोशी]: कुमाऊं में अस्पतालों की चौखट पर डबज इंजन धुआं फेंक रहा है। वादे एक से बढ़कर एक, लेकिन हालात दिनों दिन बद्तर होते जा रहे हैं। आलम यह कि मेडिकल कॉलेज तक में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के चैंबर खाली पड़े हैं। मरीज दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। स्ट्रेचर पर पड़े अस्पतालों को ‘इलाज’ का इंतजार है, जबकि सिस्टम ‘कोमा’से बाहर नहीं निकल पा रहा। अल्मोड़ा व रुद्रपुर मेडिकल कॉलेजों का निर्माण सपना बन कर रह गया है। वह भी तब जबकि चिकित्सा शिक्षा का मंत्रालय स्वयं सीएम त्रिवेंद्र रावत संभाल रहे हैं।
वादों पर गौर करिए। हालिया डबल इंजन की सरकार हो या पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार, पिछले 17 वर्षो में सरकारों ने कुमाऊं की 50 लाख जनता को बेहतर इलाज देने के वादे किए। डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ाने के सपने दिखाए लेकिन हकीकत ऐसी कि एक के बाद एक करके अस्पतालों पर ताले लटकते जा रहे हैं। उत्तराखंड का पहला और कुमाऊं का इकलौता मेडिकल कॉलेज भी अनदेखी का शिकार है।
इस मेडिकल कॉलेज पर पूरे कुमाऊं के साथ ही पश्चिमी नेपाल और उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के मरीजों की निर्भरता है लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकार एक न्यूरोसर्जन तक नियुक्त नहीं कर सकी। वर्तमान में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे रोगियों के लिए कैथ लैब भी लगातार झूठी घोषणाओं से बाहर नहीं आ सकीं।
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