उत्तराखंड के मंदिरों को लेकर हार्इकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला, जानिए
हार्इकोर्ट ने उत्तराखंड के मंदिरों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो मंदिरों का प्रबंधन व रखरखाव को अपने कब्जे में ले।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए प्रदेश के मंदिरों का प्रबंधन व रखरखाव को अपने कब्जे में लेने व इसके लिए नियम बनाने के निर्देश राज्य राज्य सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने नैनीताल निवासी अधिवक्ता अंजलि भार्गव की उस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है, जिसमें नैनीताल के प्रसिद्ध नैना देवी मेले की व्यवस्था जिला प्रशासन व पालिका द्वारा करने का आग्रह किया गया था।
बुधवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए जनहित याचिका का वृहद संदर्भ में संज्ञान लेते हुए सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खंडपीठ ने नैनीताल की भोटिया व तिब्बती मार्केट से अतिक्रमण हटाने के आदेश देते हुए कहा कि जिन दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण किया है, वह खुद हटाएं। जो नहीं हटाता है, उस दुकान की लीज पालिका समाप्त कर अन्य को दे दे।
बता दें कि श्रीराम सेवक सभा नैनीताल सौ साल से अधिक समय से नैनीताल में नंदा देवी महोत्सव का आयोजन कराती थी। पूर्व में जनहित याचिका के रूप में यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो पिछले दो साल से मेले की व्यवस्थाओं का जिम्मा पालिका व जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। मेले की व्यावसायिक गतिविधियों में श्रीराम सेवक सभा का दखल पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
नैना देवी मंदिर का संचालन अमर उदय ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। इसी तरह देवीधूरा में बाराहीदेवी मंदिर, द्वाराहाट में दूनागिरी समेत अन्य देवी मंदिरों के अलावा तीर्थनगरी ऋषिकेश, हरिद्वार, चारधाम क्षेत्र के मठ-मंदिरों पर इस आदेश से खलबली मचना तय है।
यह भी पढ़ें: नजूल भूमि को लेकर हार्इकोर्ट का बड़ा फैसला, हजारों परिवारों पर संकट
यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने गढ़वाल कमिश्नर के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट
यह भी पढ़ें: व्यावसायिक कॉलेजों में प्रवेश के मामले में सरकार को झटका