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उत्तराखंड के तीन जिलों में सबसे अधिक मानव तस्करी, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग राज्य सरकार से मांगेगा जवाब

human trafficking in uttarakhand राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एडिशनल सेक्रेटरी जनरल डा. राजेंद्र मलिक ने बुधवार को प्रदेश में मानव तस्करी एवं बाल श्रम को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। मामले उन्होंने राज्य सरकार से भी जवाब तलब करने की बात कही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 04:29 PM (IST)
उत्तराखंड के तीन जिलों में सबसे अधिक मानव तस्करी, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग राज्य सरकार से मांगेगा जवाब
मानव तस्करी में ऊधम सिंह नगर पहले और चंपावत दूसरे स्थान पर।

रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : राष्ट्रीय बाल अधिका संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) की रुद्रपुर (Rudrapur) में आयोजित बैठक में आयोग के एडिशनल सेक्रेटरी जनरल डा. राजेंद्र मलिक ने प्रदेश में मानव तस्करी (human trafficking ) एवं बाल श्रम (Child labor) को लेकर नाराजगी व्यक्त की है।

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उत्तराखंड में सबसे अधिक संवेदनशील तीन जनपद

डा. राजेंद्र मलिक ने कहा कि उत्तराखंड में सबसे अधिक संवेदनशील तीन जनपद हैं, जहां मानव तस्करी के मामले अधिक हैं। इनमें चंपावत, पिथौरागढ़ और ऊधम सिंह नगर शाम‍िल है। बाल श्रमिकों को बंधक बनाने और उनके अंगाें को बेचने के मामले सबसे अधिक ऊधम सिंह नगर में हैं। मलिक ने जिले के अधिकारियों के कार्य पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्य सरकार से जवाब मांगा जाएगा।

एडिशनल सेक्रेटरी जनरल ने ली बैठक

जिला बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की ओर से रुद्रपुर विकास भवन स्थित सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के एडिशनल सेक्रेटरी जनरल डा. राजेंद्र मलिक रहे। इसके साथ ही राज्य आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी व सुमन राय मौजूद रहीं।

एसपी सिटी का जवाब सुनकर भड़के डा. राजेंद्र मलिक

समीक्षा बैठक के दाैरान एडिशनल सेक्रेटरी जनरल डा. राजेंद्र मलिक (Dr. Rajendra Malik) ने जिले में बाल श्रम एवं मानव तस्करी के केस अौर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान आदि के बारे में जानकारी ली। इस दौरान बच्चों में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति और और रोकने के लिए पुलिस के रोल बारे में पूछा तो एसपी सिटी मनोज कत्याल के जवाब पर भड़क गए। एसपी सिटी ने कहा कि ऐसे में मामलों में तो पुलिस पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी ही पहुंचती है।

मानव तस्करी और बाल श्रम के आंकड़े नहीं दिखा सके

जिले स्तर के अधिकारियों से जब बाल श्रम एवं मानव तस्करी से जुड़े आंकड़े मांगे तो सीडब्यूसी हो या फिर बाल विकास विभाग या पुलिस विभाग कोई भी इन आंकड़ों को नहीं दिखा सका। इस पर डा. मलिक ने नाराजगी जताई।

ऊधमसिंह नगर में मानव तस्करी के सर्वाधिक मामले

दैनिक जागरण से विशेष वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि जिले का प्रदर्शन बेहद असंतोषजनक है। केंद्र से कुल देश के 75 जनपदों को मानव तस्करी के लिए संवेदनशील बताया गया है। जिसमें उत्तराखंड के तीन जनपद चंपावत, पिथौरागढ़ और ऊधम सिंह नगर शामिल हैं। ऊधम सिंह नगर को छोड़कर दोनों जनपदाें ने मानव तस्करी से जुड़े आंकड़े दिखाएं हैं, जबकि ऊधम सिंह नगर में सबसे अधिक मामले हैं, जिसे न तो पुलिस विभाग दिखा सका है अौर न ही जिले के जिम्मेदार।

संबंधित अधिकारियों से मांगा जाएगा स्पष्टीकरण

डा. राजेंद्र मलिक ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार से आयोग जवाब तलब करेगा। साथ ही संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। राज्य बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की सदस्य सुमन राय ने बताया कि ऊधम सिंह नगर की स्थिति काफी चंताजनक है। यहां के जिम्मेदार अधिकारी संतोषजनक काम नहीं कर रहे हैं। इसके लिए डीएम से जवाब मांगा जाएगा।

बैठक के दौरान ये रहे मौजूद

इस मौके पर डीपीओ उदय प्रताप सिंह, सीएमओ डा. सुनीता रतूड़ी चुफाल, डीईओ एके सिंह, डा. श्वेता दीक्षित, लेबर इंस्पेक्टर अनिल पुराेहित, जिला समाज कल्याण अधिकारी अमन अनिरूद्ध, रजनीश बत्रा, शायरा बानो, एसीएमओ डा. हरेंद्र मलिक आदि मौजूद थे।


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