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उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि और कुर्बानी पर रोक

हार्इ कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर पशुबलि व कुर्बानी दिए जाने पर रोक लगा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 05:48 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 08:45 AM (IST)
उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि और कुर्बानी पर रोक
उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि और कुर्बानी पर रोक

नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर पशुबलि व कुर्बानी दिए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस आदेश का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराए। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि किसी भी दशा में गाय, गोवंश तथा ऊंट की कुर्बानी नहीं होगी और इसके लिए डीएम को जवाबदेह बनाया गया है। इसके अलावा भैंसा, बकरा व भेड़ की कुर्बानी भी सार्वजनिक स्थान पर करने पर रोक लगाई है।

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हिन्दू महासभा हल्द्वानी के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि बकरीद के मौके पर बड़ी संख्या में जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। जिससे सार्वजनिक स्थानों नदी, नालों, नालियां व गलियां जानवरों के रक्त से लाल हो जाती हैं। साथ ही हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में कुर्बानी से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका रहती है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने इस पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सार्वजनिक स्थानों पर पशुओं की कुर्बानी पर रोक लगाने व सिर्फ स्लाटर हाउस में कुर्बानी करने के आदेश पारित किए। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ईद के मौके पर लगातार सार्वजनिक स्थानों व खुले में पशुओं की कुर्बानी होने से रोकने के लिए निगरानी रखें। कोर्ट ने अधिवक्ता निशात इंतजार की इस मामले में पेश होने पर सराहना की।

अन्य दिशा निर्देश

- किसी भी पूजा वाले स्थल के सामने कुर्बानी की अनुमति नहीं

- कुर्बानी दिए गए जानवर की खाल, खुर खुले में डंप नहीं करने दिया जाए

- स्थानीय निकाय या पंचायत जहां पर भी कुर्बानी होती है, तत्काल अवशेष हटाएंगे

- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1960 के तहत प्रतिबंधित जानवरों की नहीं होगी कुर्बानी

- कुर्बानी के लिए डीएम-एसडीएम स्थान चिह्नित करेंगे

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