हाईकोर्ट का आदेशः उत्तराखंड में बंद हों अवैध अस्पताल और क्लीनिक
उत्तराखंड में अवैध तरीके से संचालित हो रहे अस्पतालों और क्लीनिक पर हार्इ कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने उन्हें बंद कराने के आदेश दिए हैं।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने प्रदेश में फर्जी तरीके से संचालित अस्पताल-क्लीनिकों को बंद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को कानूनों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के साथ ही मेडिकल जांच व परीक्षणों का शुल्क निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं।
ऊधमसिंह नगर जिले में दोराहा बाजपुर के बीडी अस्पताल व केलाखेड़ा के पब्लिक हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सनुवाई के बाद यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि दोनों अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सक की गैरमौजूदगी के बाद भी चिकित्सालय संचालन की अनुमति व पंजीकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध था। इसके बाद भी मरीजों के ऑपरेशन किए जा रहे थे। जांच टीम को ऐसे दस मरीज भर्ती मिले, जिनके ऑपरेशन किए जाने थे। कहा कि चिकित्सकों के पास एमबीबीएस तथा सर्जरी की डिग्री तक नहीं थी।
ऊधमसिंह नगर निवासी अहमद नवी ने जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था केलाखेड़ा समेत राज्य के तमाम अस्पताल नियम विरुद्ध तरीके से संचालित हो रहे हैं। चिकित्सकों द्वारा महंगी दवाएं लिखी जाती हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका को सुनने के बाद प्रदेश के ऐसे समस्त अस्पतालों को बंद करने के आदेश पारित किए, जो क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट बिल के प्रावधानों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
कोर्ट ने सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों से मरीजों को ब्रांडेड दवाएं खरीदने का दबाव ना बनाएं और जेनरिक दवाएं ही लिखें। मरीजों की तमाम जांच के मूल्य एक माह में निर्धारित किए जाएं। कोर्ट ने कहा कि चिकित्सालय के आइसीयू के सामने की दीवार शीशे की बनाई जाए, ताकि तीमारदार मरीज पर नजर रख सके। इसके साथ ही चिकित्सालय हर 12 घंटे में तीमारदारों को मरीज की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएं। उसकी वीडियोग्राफी भी की जाए। कोर्ट ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
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