महिला तकनीकी संस्थान देहरादून के 32 शिक्षक-कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर रोक
हाई कोर्ट ने महिला तकनीकी संस्थान देहरादून के 32 शिक्षक-कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने महिला तकनीकी संस्थान देहरादून के 32 शिक्षक-कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही संस्थान के निदेशक, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अलकनंदा अशोक, प्रेमनगर देहरादून के एसएचओ शिशुपाल सिंह व केसी मिश्रा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
संस्थान के संदीप कुमार बीना समेत 32 लोगों ने याचिका दायर की है और कहा है कि संस्थान प्रबंधन ने उन पर धारा-409 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने संस्थान के रजिस्टर व अन्य सामान वापस नहीं किए हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं ने प्राथमिकी निरस्त करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार उन्होंने अवमानना याचिका दायर की थी, जिसमें कोर्ट ने सरकार और संस्थान को शिक्षक-कर्मचारियों को बहाल करने के आदेश दिए थे। साथ ही देयकों का भुगतान करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सरकार ने हलफनामा दिया था कि कर्मचारियों के देयकों का भुगतान किया गया। उन्हें कार्य पर बहाल कर दिया गया। साथ ही स्थायी निदेशक की नियुक्ति कर दी गई है। लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक न तो उन्हें वेतन दिया गया, न ही बहाल किया गया है। स्थायी निदेशक की नियुक्ति भी नहीं की गई। कहा कि उन्हें बहाल करने के बजाय संस्थान प्रबंधन झूठे केस में फंसा रहा है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद एसीएस, डीजी लॉ एंड ऑर्डर समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। साथ ही याचिकाकर्ता शिक्षक-कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
विधायक चैंपियन के समर्थकों को नहीं मिली राहत
नैनीताल : हाई कोर्ट ने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन के समर्थकों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद नियत की है। मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल की पत्नी बैजयंतीमाला ने 25 मार्च को रुड़की थाने में विधायक चैंपियन के समर्थकों पहल सिंह, फुरकान अहमद व पप्पू सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। कहा था कि चैंपियन के समर्थकों ने उनके व दलित समाज के खिलाफ होटल में प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिसमें जातिसूचक शब्द कहे गए थे और उनको बदनाम करने की कोशिश की गई थी। उनके बयान से दलित समाज बेहद आहत हुआ। आरोपितों का मुख्य मकसद समाज में जातिवाद फैलाना है। इस प्राथमिकी को चुनौती देते हुए चैंपियन के समर्थकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।
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