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वन भूमि में कूड़ा निस्तारण जोन बनाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

कोर्ट ने चमोली जिले की कूड़ा निस्तारण जोन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्‍य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पूछा है बिना भारत सरकार की अनुमति के वन विभाग की भूमि शहरी विकास को कैसे हस्तांतरित कर दी गई।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:39 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:39 PM (IST)
वन भूमि में कूड़ा निस्तारण जोन बनाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने के दौरान इन पेड़ों को नुकसान होने के साथ ही ग्रामीणों में बीमारी फैलने का खतरा है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने चमोली जिले की नगर पंचायत पोखरी में वन भूमि पर बनाए जा रहे कूड़ा निस्तारण जोन के खिलाफ  दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्‍य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। साथ ही पूछा है बिना भारत सरकार की अनुमति के वन विभाग की भूमि शहरी विकास को कैसे हस्तांतरित कर दी गई।

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बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पोखरी निवासी पूर्व प्रधान प्रखर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि चमोली के पोखरी ग्राम सभा में केदारनाथ वन प्रभाग द्वारा 2015-16 में 1500 पौधे लगाए थे। जो अब बड़े हो गए है। अब राच्य सरकार ने वन विभाग की इस भूमि को कूड़ा निस्तारण के लिए शहरी विकास विभाग को हस्तांतरित कर ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने के टेंडर जारी कर दिए है। ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने के दौरान इन पेड़ों को नुकसान होने के साथ ही ग्रामीणों में बीमारी फैलने का खतरा है।

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