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पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआइ से मांगा जवाब

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त के स्टिंग मामले में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 10:00 AM (IST)
पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआइ से मांगा जवाब

नैनीताल, जेएनएन : विधायकों की कथित खरीद फरोख्त के स्टिंग मामले की वजह से कानूनी घेरे में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीबीआइ की ओर से दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। कोर्ट ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए सीबीआइ को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। स्टिंग मामले में अगली सुनवाई के लिए सात जनवरी की तिथि नियत की गई है।

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शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में स्टिंग मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत की ओर से सीबीआइ द्वारा दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। रावत ने कहा है कि सीबीआइ को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार नहीं है, लिहाजा प्राथमिकी निरस्त की जाए। सीबीआइ के अधिवक्ता की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया। पूर्व में कोर्ट ने सीबीआइ व केंद्र सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को कहा था, साथ ही यह भी कहा था कि प्रारंभिक जांच के उपरांत सीबीबाइ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को स्वतंत्र है।

पूर्व सीएम रावत के अधिवक्ता ने इस मामले में प्राथमिक जांच के बाद तैयार रिपोर्ट कोर्ट में पढ़ी और कहा कि 2016 में 31 मार्च का सीबीआई जांच का आदेश गलत होता है तो प्राथमिकी का औचित्य नहीं रह जाएगा जबकि 15 मई 2016 को तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की सीबीआइ के बजाय एसआइटी से जांच कराने का आदेश सही होता है तो उस आधार पर भी सीबीआइ जांच का आदेश रद हो सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ प्राथमिकी दर्ज करने को स्वतंत्र है मगर कार्रवाई न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी। हाल ही में सीबीआइ ने स्टिंग मामले मेें पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ ही एक न्यूज चैनल संचालक रहे उमेश शर्मा तथा वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इस तरह उछला था मामला

मार्च 2016 में राज्य विधान सभा में वित्त विधेयक पेश होने के बाद कांग्रेस के विधायकों ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। सियासी संग्राम छिड़ा तो केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद-356 का प्रयोग करते हुए राष्टï्रपति शासन लागू कर दिया। इसी दौरान स्टिंग बम फूटा तो 31 मार्च 2016 को राज्यपाल ने इसकी सीबीआइ जांच की संस्तुति केंद्र सरकार को भेज दी। पहले हाई कोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट से बर्खास्त हरीश रावत सरकार बहाल हुई। 15 मई को तत्कालीन सीएम हरीश रावत की गैर मौजूदगी में वरिष्ठ मंत्री डॉ इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बैठक कर स्टिंग मामले की जांच सीबीआइ से हटाकर एसआइटी को सौंप दी तो वर्तमान वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के फैसले को याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी। सीबीआइ ने इस मामले में प्रारंभिक जांच के बाद सीलबंद रिपोर्ट हाई कोर्ट में सौंपी थी। 

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