हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवाओं के गिरते स्तर व एंबुलेंस 108 को लेकर दायर याचिका पर की सुनवाई
हाई कोर्ट ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के गिरते स्तर और एंबुलेंस 108 का घटना स्थल पर समय से नहीं पहुंचने के मामले में याचिकाकर्ता से एक सप्ताह में शपथपत्र पेश करने को कहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 05:20 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 10:42 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के गिरते स्तर व आपातकालीन 108 वाहन के समय से नहीं पहुंचने के मामले में याचिकाकर्ता से एक सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। इस मामले में सरकार की ओर से दाखिल शपथ पत्र में कहा गया है कि 108 आपातकालीन सेवा में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है। याचिका में लगाए गए आरोप निराधार हैं। वहीं याचिकाकर्ता ने चम्पावत में हाल ही में एक व्यक्ति की मौत की जानकारी देते हुए कहा है कि 108 वाहन में ऑक्सीजन की कमी से बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर से शुरू 108 आपातकालीन सेवा की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। सरकार ने 108 सेवा संचालन करने का टेंडर उस कंपनी को दिया गया है, जो शव ढोने का काम करती है। इस कंपनी के पास पहाड़ में गाड़ी चलाने वाले अनुभवी चालक भी नहीं हैं। कंपनी ने मात्र तीन दिन का प्रशिक्षण देने के बाद कर्मचारियों को 108 सेवा में नियुक्त कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि पिछले साल तक 108 सेवा संचालन कंपनी जीवीके के कार्यकाल के दौरान करीब 12 हजार प्रसव बिना किसी घटना के कराए गए। इस मामले में सोमवार को सरकार ने अपना पक्ष रखा, जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता से एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर से शुरू 108 आपातकालीन सेवा की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। सरकार ने 108 सेवा संचालन करने का टेंडर उस कंपनी को दिया गया है, जो शव ढोने का काम करती है। इस कंपनी के पास पहाड़ में गाड़ी चलाने वाले अनुभवी चालक भी नहीं हैं। कंपनी ने मात्र तीन दिन का प्रशिक्षण देने के बाद कर्मचारियों को 108 सेवा में नियुक्त कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि पिछले साल तक 108 सेवा संचालन कंपनी जीवीके के कार्यकाल के दौरान करीब 12 हजार प्रसव बिना किसी घटना के कराए गए। इस मामले में सोमवार को सरकार ने अपना पक्ष रखा, जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता से एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
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