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उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच रोडवेज की परिसंपत्तियों का बंटवारा न होने पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

रोडवेज कर्मचारियों को वेतन न मिलने के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच रोडवेज की परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं होने पर हैरानी जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश से यहां का हक क्यों नहीं मांगा जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 07:35 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 07:40 AM (IST)
उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच रोडवेज की परिसंपत्तियों का बंटवारा न होने पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

किशोर जोशी, नैनीताल : रोडवेज कर्मचारियों को वेतन न मिलने के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच रोडवेज की परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं होने पर हैरानी जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश से यहां का हक क्यों नहीं मांगा जा रहा है। अफसरों की कार्यप्रणाली पर कोर्ट फिर मुखर रही। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों के मौलिक व मानवाधिकारों का हनन होने पर वे अदालत के पास ही आएंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड की भी विभिन्न विभागों की देनदारियां हैं। कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में स्टे को निरस्त करने के लिए गंभीर पैरवी करेगी।

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मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने रोडवेज की जनहित याचिका को सर्विस रिट होने पर सवाल खड़ा किया तो कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी हाई कोर्ट नहीं तो कहां जाएंगे। यदि आपको इसमें दिक्कत है तो कोर्ट अभी इस मामले को स्वत: संज्ञान में कन्वर्ट कर देगी। क्योंकि कर्मचारियों के मौलिक, मानवाधिकार एवं अंतरराष्‍ट्रीय कानून का भी उल्लंघन हो रहा है। आप आपत्तियां पेश कर कर्मचारियों का मनोबल गिरा रहे हैं और इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

आइएएस अफसरों का वेतन रोकने का इतिहास याद दिलाया

कोर्ट ने कहा कि यदि दूसरे राज्य के कर्मचारी होते तो अब तक वे सड़क पर होते। तेलंगाना में पिछले साल हुई रोडवेज की हड़ताल का जिक्र करते हुए कहा कि यदि कर्मचारी अनुशासन बना रहे हैं तो आपको उनके हितों का ध्यान रखना चाहिए। यदि आइएएस अफसरों का पांच माह वेतन रोक दिया जाएगा तो वह दूसरे स्रोतों से आराम से गुजारा कर लेंगे। मगर रोडवेज कर्मचारी राशन भी उधार ले रहे हैं, उनकी स्थिति क्या होगी इसकी कल्पना ही की जा सकती है। कोर्ट ने इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि कोर्ट ने ही आइएएस अफसरों का भी वेतन रोका है।

जमीन बेचने की अनुमति में देरी क्यों?

कोर्ट ने पूछा कि उत्तराखंड में रोडवेज की करीब ढाई सौ करोड़ की जमीन बेचने की अनुमति देने में देरी क्यों हो रही है। उत्तर प्रदेश के पास सात सौ करोड़ देनदारी है तो डिमांड क्यों नहीं की जा रही है। उप्र द्वारा हक क्यों मारा जा रहा है। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड के दूसरे विभागों की भी उप्र पर देनदारी है। कोर्ट ने उप्र व उत्तराखंड के बीच एक-दूसरे की देनदारी का पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई में पेश करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि एसी में बैठकर भी बाहर की कठिन परिस्थितियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। कानपुर व लखनऊ में परिसंपत्तियों की 56 करोड़ की देनदारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट को सही तथ्य क्यों नहीं बताए जा रहे हैं।

तुम तसल्ली न दो, सिर्फ बैठे रहो, वक्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जगजीत सिंह की गजल का भी उल्लेख किया। जिसके बोल हैं- तुम तसल्ली न दो, सिर्फ बैठे रहो, वक्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा। क्या ये कम है, मसीहा के रहने से ही मौत का इरादा बदल जाएगा...। कोर्ट का कहना था कि यदि आप रोडवेज कर्मचारियों के वेतन आदि मामले में आपत्तियां या विरोध करने के बजाय सिर्फ साथ दोगे तो वह आपकी परेशानी समझेंगे और छोटी सी राहत को तसल्ली मानकर आपका साथ देंगे।

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