हाई कोर्ट में आइएफएस भरतरी की याचिका पर सुनवाई 25 फरवरी को
कार्बेट पार्क में अतिक्रमण मामले की हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था। उसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मामले की जांच की जिसमें अतिक्रमण की बात सच निकली। इस पर सरकार ने कोर्ट के जवाब मांगने पर भरतरी का तबादला कर दिया था।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) उत्तराखंड के पद से हटाए गए प्रदेश के वरिष्ठतम आइएफएस अधिकारी राजीव भरतरी का तबादला मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से तबादले कर लेवल घटाने संबंधी दलील के समर्थन में सरकारी आदेश प्रस्तुत करने को कहा है। अगली सुनवाई शुक्रवार की तिथि नियत की है।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में आइएफएस भरतरी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में भरतरी ने कहा है कि वह राज्य में भारतीय वन सेवा के सबसे सीनियर अधिकारी हैं। लेकिन सरकार ने 25 नवम्बर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था। उन्होंने इस स्थानांतरण को संविधान के विरुद्ध बताते हुए चार प्रत्यावेदन दिए लेकिन सरकार ने सुनवाई नहीं की। आरोप लगाया कि स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है। जिससे उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। सरकार की ओर से कहा गया कि नवंबर में तबादले के बाद भरतरी ने चार्ज भी ले लिया।
यह था मामला
कार्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र मेें अतिक्रमण व बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की राष्टï्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने जांच की थी। जिसमें अवैध निर्माण व अतिक्रमण की पुष्टिï हुई। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर हुई जांच की समाचार पत्र मेें प्रकाशित रिपोर्ट का नैनीताल हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी। साथ ही सरकार से जवाब मांगा था। जिसके बाद सरकार ने पीसीसीएफ भरतरी को पद से हटाकर जैव विविधता बोर्ड का चेयरमैन बना दिया जबकि दूसरे कार्बेट पार्क के कालागढ़ क्षेत्र में तैनात आइएफएस किशन चंद को मुख्यालय से अटैच कर दिया।