Move to Jagran APP

Coronavirus Lockdown : स्कूलों की लूट पर उत्तराखंड हाईकोर्ट सख्त, जानि‍ए क्‍या द‍िए ये आदेश

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में राज्य में फीस के नाम पर पब्लिक स्कूलों की लूट पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 07:52 PM (IST)
Coronavirus Lockdown : स्कूलों की लूट पर उत्तराखंड हाईकोर्ट सख्त, जानि‍ए क्‍या द‍िए ये आदेश
Coronavirus Lockdown : स्कूलों की लूट पर उत्तराखंड हाईकोर्ट सख्त, जानि‍ए क्‍या द‍िए ये आदेश

नैनीताल, जेएनएन :  कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में फीस वसूली के लिए दबाव डालने को हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मैसेज, ईमेल, फोन से अभिभावकों पर बच्चों की फीस के लिए दबाव डालने पर रोक लगा दी है। साथ ही ब्लाक शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी बना दिया है। कोर्ट ने सरकार को फीस मामले मेें अभिभावकों की शिकायत पर नियम के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है।

loksabha election banner

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में वीडियोकांंफ्रेंसिंग के माध्यम से देहरादून निवासी कुंवर जपिंदर सिंह व अधिवक्ता आकाश यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में साफ कर दिया कि ट्यूशन फीस भी सिर्फ  ऑनलाइन शिक्षा लेने वाले छात्रों से ही ली जा सकती है। याचिका में कहा है कि प्राइवेट व सरकारी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं। यूकेजी व एलकेजी समेत कक्षा पांच तक के बच्चों से भी ऑनलाइन के नाम पर फीस वसूली की जा रही है। जबकि उनके लिए ऑनलाइन क्लास नहीं लगाई जा रही हैं। याचिका में निजी व सरकारी स्कूलों में कोरोना को लेकर स्थिति साफ होने के बाद ही अभिभावकों से ट्यूशन फीस ली जाए।

ट्यूशन फीस के बहाने अन्य शुल्क ना लिया जाए, ना ही अगले सत्र में फीस में बढ़ोत्तरी की जाए। कक्षा पांच तक के बच्चों से किसी तरह की फीस ना ली जाए। सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने कहा कि लॉकडाउन में जिन बच्चों के पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है, दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई की जा रही है। सरकार की ओर से पब्लिक स्कूलों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जबकि याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अभिलाषा बेलवाल ने कहा कि पब्लिक स्कूलों द्वारा अभिभावकों को व्हाट्सएप व ई मेल के माध्यम से फीस के लिए दबाव डाला जा रहा है। खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि एलकेजी-यूकेजी कक्षा के बच्चों को किस तरह ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। कितने प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। कितने विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई करवाई की जा रही है। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद नियत कर दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.