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नैनीताल जिले में अब हरियाणा में विकसित बीज से होगी गेहूं की खेती, कम लगेंगेी बीमारियां, बढ़ेगा उत्पादन

Haryana Wheat seeds farming in nainital district कृषि विभाग की ओर से न्याय पंचायत गुनीपुर जीवानंद कुंवरपुर गौलापार लाखन मंडी चोरगलिया हरिपुर बच्ची नगर बमौरी में किसानों को 150 क्विंटल पीबीडब्ल्यू 187 किस्म का बीज वितरित किया गया है।

By Himanshu JoshiEdited By: Skand ShuklaPublished: Thu, 24 Nov 2022 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2022 08:40 AM (IST)
नैनीताल जिले के किसानों ने पहली बार पीबीडब्ल्यू 187 किस्म का बीज बोया

हिमांशु जोशी, हल्द्वानी : नैनीताल जिले में पहली बार हरियाणा के करनाल में विकसित गेहूं की करण वंदना (पीबीडब्ल्यू 187) किस्म की खेती होगी। जिससे न सिर्फ गेहूं की उपज बढ़ेगी, बल्कि पानी की कमी वाले क्षेत्रों के किसानों को भी फायदा मिलेगा। बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण फसल बर्बाद होने जैसी समस्याएं भी काफी हद तक दूर हो जाएंगी।

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कृषि विभाग की ओर से न्याय पंचायत गुनीपुर जीवानंद, कुंवरपुर गौलापार, लाखन मंडी चोरगलिया, हरिपुर बच्ची नगर, बमौरी में किसानों को 150 क्विंटल पीबीडब्ल्यू 187 किस्म का बीज वितरित किया गया है। विकासखंड प्रभारी अफरोज अहमद ने बताया कि इन न्याय पंचायतों से जुड़े किसान करीब तीन हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती करते हैं। ऐसे में किसानों के लिए यह फसल आजीविका का अहम जरिया है।

विभाग की ओर से उत्पादन बढ़ाने के लिए नए किस्म के बीज लाए जा रहे हैं। इस बार गेहूं का पीबीडब्ल्यू 187 बीज पहली बार आया है। इससे पूर्व वर्ष 2013 से एचडी 2967, वर्ष 2019 से एचडी 3086 और वर्ष 2021 से एचडी 3226 बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेहतर परिणाम मिलने के कारण एचडी 2967 को एचडी 3086 किस्म से रिप्लेस करने की तैयारी चल रही है।

एक हेक्टेयर भूमि में 65 क्विंटल उत्पादन क्षमता

गेहूं की यह किस्म 77 दिनों में फूल देती है और बुवाई के बाद 120 दिनों में परिपक्व हो जाती है। इसकी औसत ऊंचाई 100 सेमी होती है। इसमें प्रति हेक्टेयर 65 क्विंटल उत्पादन की क्षमता है।

उर्वरक की मात्रा का रखें ख्याल

इस किस्म से अधिकतम उत्पादन लेने के लिए प्रति हेक्टेयर 225 किलो नाइट्रोजन, 90 किलो फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश का उपयोग किया जाना चाहिए। वृद्धि नियंत्रकों में 100 लीटर पानी में 200 मिली क्लोरमाक़्वेट क्लोराइड, 100 मिली टेबुकोनाजोल का प्रयोग और फसल के मौसम के दौरान दो बार समान्य रूप से निराई कर सकते हैं।

पीबीडब्ल्यू 187 कम लगेंगी बीमारियां

धीरज सिंह, कृषि एवं भूसंरक्षण अधिकारी हल्द्वानी ने बताया कि पीबीडब्ल्यू 187 किस्म का बीज इस क्षेत्र के लिए नया है। इसकी उपज में बीमारियां कम लगेंगी और लागत भी कम आने के साथ उपज अधिक होने की उम्मीद है। अब तक गेहूं की विभिन्न किस्मों का 870 क्विंटल बीज किसानों को उपलब्ध कराया गया है।


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