नैनीताल पुलिस की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट सख्य, सुनवाई के दौरान ही जांच कमेटी बना रामनगर भेजा
रामनगर में कुमाऊं के एक मात्र दिव्यांग बच्चों के आवासीय विद्यालय से एक बच्चे के गायब होने के मामले में रामनगर पुलिस ने हर स्तर पर लापरवाही बरती। बच्चे के गायब होने के बाद मुकदमा दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : रामनगर में कुमाऊं के एक मात्र दिव्यांग बच्चों के आवासीय विद्यालय से एक बच्चे के गायब होने के मामले में रामनगर पुलिस ने हर स्तर पर लापरवाही बरती। बच्चे के गायब होने के बाद मुकदमा दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई। 25 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया तो बच्चे के गायब होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया।
रामनगर पुलिस की इस मामले में लापरवाही से हाई कोर्ट में नैनीताल पुलिस पर सवाल खड़े हुए तो कोर्ट को पहली बार सख्त एक्शन लेते हुए रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल के साथ याचिकाकर्ता व सरकारी अधिवक्ता की कमेटी बनाकर जांच के लिए भेजने का आदेश पारित कर पुलिस को आइना दिखाया।
यहांं पढ़ें कोर्ट के आदेश का अंश
- कोर्ट ने आठ पेज के आदेश में टिप्पणी करते लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस मानक संचालन प्रक्रिया के संदर्भ में ऐसे मामलों में अपने दायित्वों के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञ है।
- सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार के केस में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि बच्चे के तस्करी, अपहरण या अन्य वजहों से लापता होने की सूचना पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।
- बाल कल्याण अधिकारी पुलिस को सूचित करें और बच्चे का पता लगाने के लिए विशेष किशोर पुलिस इकाई को प्राथमिकी भेजें।
- पुलिस गुमशुदा बच्चे का का फोटो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो, राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो, रेलवे व अन्य संस्थान को डाक या ई मेल से समीपतर्वी कार्यालय भेजेगी।
- प्रमुख समाचार पत्रों, केबिल टीवी, इलेक्ट्रानिक मीडिया में तस्वीर व बच्चे का विवरण भेजें।
- इंटरनेट मीडिया व स्थानीय केबिल नेटवर्क के बाद बाल कल्याण बोर्डया समिति बाल न्यायालय को जानकारी दें।
- लाउडस्पीकर के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार करें, जगह-जगह नोटिस चस्पा करें, रेलवे, बस स्टेशन, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय व अन्य प्रमुख स्थानोंपर नोटिस वितरित करें।
- मूवी थियेटर, पार्क, गेम पार्लर ऐसे स्थान खोजें, जहां से बच्चा गायब है। क्षेत्र के आसपास लगाए क्लोज सर्किट टेलीविजन कैमरे के रिकार्डिंग को स्कैन करें, जहां से बच्चे की सूचना मिली थी।
- संभावित मार्ग, निर्माणाधीन स्थलों, अपयुक्त भवनों, अस्पताल व क्लीनिक , चाइल्ड लाइन सेवाओं व अन्य आउटरीच श्रमिकों, रेलवे पुलिस व अन्य स्थानों से पूछताछ की जाए।
- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों में साफ कहा है कि क्या गुमशुदा बच्चों के मामले में काम कर रहा पुलिस अधिकारी सादे कपड़ों में है? मानसिक रूप से पीड़ित या शारीरिक दुर्बल या गंभीर बीमारी वाला तो नहीं
- है।यदि बच्चों को वयस्क के साथ भेजा जाता है तो नुकसान का जोखिम तो नहीं है? यह भी देखा जाना चाहिए।
एसएसपी और कोतवाल को कर लिया तलब
हाई कोर्ट ने मामले को इतनी गंभीरता से लिया कि कमेटी से जांच कर शाम तक रिपोर्ट देने व एसएसपी व रामनगर कोतवाल को तलब कर लिया। इस मामले की गूंज पुलिस मुख्यालय तक भी पहुंच गई है। कोर्ट अब शुक्रवार को इस मामले में अहम सुनवाई करेगी।