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Haldwani में खुला अनोखा स्‍टूडियो... छह साल से 60 साल तक के बुजुर्ग दूर कर रहे तनाव; मनोविज्ञानियों को भायी ये हीलिंग थैरेपी

Pottery Studio in Haldwani हल्द्वानी में छह साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग पारंपरिक गतिविधियों और कलाओं की ओर आकर्षित होकर मिट्टी के बर्तन बनाने (पॉटरी) जैसी पारंपरिक गतिविधियों में दिलचस्पी ले रहे हैं। स्टूडियो में मेडिकल कालेज में पढ़ने वाले एमबीबीएस के छात्र भी आते हैं। कई घरों से मां अपने सभी बच्चों को लेकर पहुंचती हैं।

By Deep belwal Edited By: Nirmala Bohra Published: Sun, 19 May 2024 02:49 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2024 02:49 PM (IST)
Pottery Studio in Haldwani: हल्द्वानी में मिट्टी के बर्तन बनाइए, तनाव भगाइए

दीप बेलवाल, जागरण हल्द्वानी: Pottery Studio in Haldwani: आज के दौर में जहां बच्चे व युवा मोबाइल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, वहीं हल्द्वानी में छह साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग पारंपरिक गतिविधियों और कलाओं की ओर आकर्षित होकर मिट्टी के बर्तन बनाने (पॉटरी) जैसी पारंपरिक गतिविधियों में दिलचस्पी ले रहे हैं। इसके जरिये वह न सिर्फ अपना तनाव दूर कर रहे हैं, बल्कि पारंपरिक कला भी सीख रहे हैं।

मूलरूप से लखनऊ के आलमबाग व हाल हल्द्वानी निवासी विनय अस्थाना ने लालडांठ में पॉटरी स्टूडियो खोला है। जहां पर मिट्टी के बर्तन बनाने के अलावा अन्य कलाकृतियां बनाई जा रही हैं। स्टूडियो में 40 से अधिक बच्चे, युवा, महिलाएं व बुजुर्ग पारंपरिक गतिविधियों को सीख रहे हैं।

डेकोरेशन सामग्री के अलावा मिट्टी के कप, पेन स्टैंड, स्लैब कई अन्य सजावटी सामग्री बनाई जा रही है। खास यह कि स्टूडियो में बनने वाले सभी उपकरण हाथ से बनते हैं। यानी कोई मशीन का प्रयोग नहीं होता। व्यक्ति जो कलाकृति बनाता है, उसे अपने साथ भी ले जा सकता है।

कलाकृति बनाने में दिल्ली व जयपुर से पैराकोटा व स्टोन वेयर मिट्टी मंगाई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार पॉटरी एक हीलिंग थैरेपी है और स्ट्रेस रिलीज का काम करती है।

मिट्टी को छूते ही उसकी ठंडक दिल और दिमाग के भार या तनाव को दूर करती है। पॉटरी सीखने वालों में छात्रों के साथ कामकाजी युवा शामिल हैं। पॉटरी स्टूडियो के संस्थापक विनय अस्थाना के मुताबिक स्टूडियो में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला अब जुनून बन रही है।

विनय ने इंजीनियरिंग छोड़ खोला स्टूडियो

विनय बताते हैं कि हल्द्वानी में पॉटरी स्टूडियो कुमाऊं का एकमात्र स्टूडियो है। उन्होंने एमबीए करने के बाद इंजीनियरिंग छोड़ दिया और कुछ नया करने की सोची। 11 साल से हल्द्वानी में रहकर स्कूलों में कंप्यूटर्स, मैथ्स व विज्ञान लैब के लिए काम किया। दो साल पहले उन्होंने स्टूडियो खोला। उनका कहना है कि आज का युवा वर्ग आठ से नौ घंटे मोबाइल पर बिता देता हैं। उनके स्टूडियो में आकर मन को शांति मिलती है।

300 से 600 रुपये तक फीस

पॉटरी स्टूडियो में छह साल से लेकर 10 साल तक के बच्चों को 350-400 रुपये मासिक फीस देनी होती है। इसी तरह 10 साल से लेकर 60 साल तक के लोग 500-600 रुपये तक फीस देते हैं। स्टूडियो में मेडिकल कालेज में पढ़ने वाले एमबीबीएस के छात्र भी आते हैं। कई घरों से मां अपने सभी बच्चों को लेकर पहुंचती हैं।

हाथ पर मिट्टी के स्पर्श होकर सूखने तक तो शरीर व मन को अलग अनुभूति होती है। मेरा मकसद लोगों को तनाव से दूर करना है। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हर वर्ग स्टूडियो में आ रहा है।

विनय अस्थाना, संस्थापक, पॉटरी स्टूडियो

निश्चित रूप से मिट्टी के बर्तन व अन्य कलाकृति बनाने से मन को अलग शांति मिलती है। चिकित्सा क्षेत्र में इसे मड थेरेपी या प्राकृतिक चिकित्सा कहा जाता है। मिट्टी से जुड़कर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पाजीटिव एनर्जी आती है। हाथ में मिट्टी लगते ही ठंडक का एहसास होता है। इससे मन को अच्छा लगता है और तनाव को कम किया जा सकता है।

डा. युवराज पंत, मनोविज्ञानी


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