Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Haldwani News: आंगन ही नहीं, किताबों से भी गायब हुई गौरैया, संरक्षण की अलख जगाने में जुटे पक्षी वैज्ञानिक

    By Mehtab alamEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Tue, 21 Mar 2023 08:04 PM (IST)

    गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव रहे प्रख्यात पक्षी विज्ञानी प्रो. दिनेश भट्ट के साथ लंबे अरसे तक पक्षी विज्ञान के गुर लेने वाले प्रो. विनय ...और पढ़ें

    Hero Image
    पत्नी के साथ गौरेया आश्रय लगाते प्रो. विनय सेठी: जागरण

    हरिद्वार, जागरण संवाददाता: इंसान की 10 हजार साल पुरानी दोस्त गौरैया थोड़ी सी उपेक्षा और लापरवाही के कारण सिर्फ हमारे घर की छत और आंगन से ही दूर नहीं हुई, बल्कि अब तो किताबों से भी उसका वजूद गायब होने लगा है। अभी तक अंग्रेजी की किताबों में नौनिहालों को गौरैया का चित्र दिखाकर बी फाॅर बर्ड पढ़ाया जाता था, लेकिन अब अधिकांश किताबों में बी फाॅर बर्ड की जगह बी फाॅर बाल या बी फाॅर बैग पढ़ाया जाने लगा है। हरिद्वार व आस-पास के जिलों में गौरैया संरक्षण की अलख जगाने में जुटे पक्षी वैज्ञानिक डा. विनय सेठी के सर्वे में यह चिंताजनक पहलू सामने आया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव रहे प्रख्यात पक्षी विज्ञानी प्रो. दिनेश भट्ट के साथ लंबे अरसे तक पक्षी विज्ञान के गुर लेने वाले प्रो. विनय सेठी ने अपना जीवन गौरैया संरक्षण के लिए समर्पित किया हुआ है। वह परिवार सहित तन-मन और धन से गौरैया संरक्षण में जुटे हुए हैं। 

    अपने खर्च से गौरैया आश्रय के रूप में लकड़ी के घोंसले बनवाना और खुद घूम-घूमकर इन्हें सुरक्षित जगहों पर लगाना प्रो. विनय सेठी का जुनून बन चुका है। स्कूल, कालेज से लेकर सामाजिक संस्थाओं के कार्यक्रम में वह आमजन को गौरैया संरक्षण की मुहिम से जोड़ने का कोई मौका नहीं चूकते। 

    शिवपुरी कालोनी स्थित उनके गौरैया निवास में चिड़ियों की चहचहाहट अभी भी पुराने दिनों का अहसास कराती है। 'दैनिक जागरण' से खास बातचीत में प्रो. विनय सेठी ने बताया कि अभी तक बच्चों को घर के आंगन से लेकर किताबों तक में गौरैया नजर आती थी, लेकिन अब प्राइवेट पब्लिशर्स की अधिकांश किताबों में बी फाॅर बर्ड की जगह दूसरे शब्दों व चित्रों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। हमारे जीवन से गौरैया धीरे-धीरे निकल रही है, यह चिंताजनक है। सामूहिक प्रयास से ही गौरैया को वापस लाया जा सकता है।

    नेस्टबाक्स (गौरैया-आश्रय) लगाते समय ध्यान रखें

    • नेस्टबाक्स को जमीन से 10 फीट अथवा इससे अधिक ऊंचाई पर स्थापित किया जाए।
    • नेस्टबाक्स पर दिन के किसी भी समय धूप नहीं आनी चाहिए।
    • वर्षा का जल न गिरे तो ज्यादा बेहतर होगा।
    • नेस्टबाक्स को सीलिंग फैन से दूर स्थापित करें।
    • नेस्टबाक्स के भीतर तिनका या किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री, अनाज आदि बिल्कुल न रखें।
    • नेटबाक्स के आसपास जमीन पर रुई के फोहे और फूलझाड़ू को रखा जा सकता है। गौरैया आवश्यकतानुसार इन्हें अपने घोंसले निर्माण में प्रयोग कर लेती है।
    • बाक्स को ऐसे बिजली के बल्व अथवा ट्यूबलाइट के निकट नहीं लगाएं, जिसे रात में जलाए जाने की आवश्यकता होती हो।
    • दो या दो से अधिक नेस्टबाक्स लगाए जाने हैं, तो उनके बीच आठ फीट तक की दूरी उचित रहेगी।
    • दीवार के अलावा पेड़ पर लगाकर इस बाक्स में घोंसला बनाने के लिए मैगपाई राबिन, ब्राह्मणी मैना, कामन मैना जैसे पक्षियों सहित गिलहरी को सरलता से आमंत्रित किया जा सकता है।